जीएसटी काउंसिल की 48वीं बैठक में मंत्री देवड़ा ने कई मुददों पर रखे अपने विचार –

:: दलहन मिलिंग से प्राप्त खांड चूरी छिलका पर दोहरी कर-व्यवस्था समाप्त करने का आग्रह ::
भोपाल/इन्दौर । वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री जगदीश देवड़ा ने जीएसटी काउंसिल से आग्रह किया है कि दलहन की मिलिंग से प्राप्त खांड चूरी छिलका आदि के अंतिम उपयोग के आधार पर दोहरी कर-व्यवस्था को समाप्त किया जाये और इन वस्तुओं को कर मुक्त श्रेणी में रखा जाये। आज हुई जीएसटी काउंसिल की 48वीं बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस से देवड़ा ने कई मुददों पर अपने विचार रखे। प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर दीपाली रस्तोगी और आयुक्त लोकेश कुमार जाटव भी शामिल हुए। बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।
मंत्री देवड़ा ने पंजीयन प्रक्रिया को प्रभावी बनाने मध्यप्रदेश के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए काउंसिल का धन्यवाद दिया। इससे पंजीयन प्रक्रिया में आवेदक द्वारा प्लेस ऑफ बिज़नेस के संबंध में इलेक्ट्रिसिटी बिल या संपत्ति के विवरण के लिये दी गई जानकारी का सत्यापन विभिन्न विभागों के डाटाबेस से API के माध्यम से प्राप्त किये जाने से कूटरचित दस्तावेज के आधार पर पंजीयन लिए जाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।
मध्यप्रदेश को इस संबंध में पायलेट प्रोजेक्ट में शामिल किये जाने पर उन्होंने धन्यवाद दिया। साथ ही अनुरोध किया कि अधिकांश पंजीयन-आवेदन नगरीय क्षेत्र में स्थित होने से प्लेस ऑफ बिज़नेस संबंधी सत्यापन के लिये भू-राजस्व विभाग के साथ नगरीय विकास विभाग के संपत्ति संबंधी डेटाबेस का उपयोग किये जाने की भी आवश्यकता है। काउंसिल ने इस अनुरोध पर स्वीकृति दी।
वित्त मंत्री देवड़ा ने काउंसिल का ध्यान आकर्षित किया कि वर्तमान प्रावधान अनुसार अधिनियम की धारा 73 एवं 74 में सूचना-पत्र जारी करने की समय-सीमा अलग- अलग है। डेटा एनालिटिक्स की आधुनिक तकनीक एवं जीएसटी संबंधी विभिन्न पोर्टल के माध्यम से प्राप्त प्रकरणों में राज्य के राजस्व हित को ध्यान में रखते हुए कर-प्रशासन द्वारा बड़ी संख्या में धारा 73 अंतर्गत कार्यवाही की जा रही है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए धारा 73 अंतर्गत सूचना पत्र जारी करने की वर्तमान समय-सीमा 3 वर्ष को बढ़ाकर धारा 74 के अनुरूप ही 5 वर्ष ही किये जाने का अनुरोध किया। जीएसटी काउंसिल ने इस संबंध में अलग से प्रस्ताव लॉ-कमेटी में प्रेषित करने को कहा। चर्चा में बैठक के एजेंडे के अन्य बिंदुओं पर मध्यप्रदेश द्वारा सहमति व्यक्त की गई।