पूस के दिनों में
धूप तलाशती कविताएं
समय की सलाइयों पर बुन रहीं हैं एक स्वेटर !!
एक फंदा सीधा..एक उल्टा..
दो सलाई उल्टी..एक सीधी..
काली धारी..लाल चैक..
अबकी ये डिजाइन..
वो बड़े वाले बटन..
एक साइज़ बड़ा
ताकि अगले बरस भी खूब पहन सको !!
सुनों..
आजकल फैशन में क्या है..
ट्रैंड कैसा है..
कोई फ़र्क नहीं पड़ता !!
बस..भेजना चाहतीं हैं तुम तक
थोड़ी नर्म सी गर्माहट ,
ताकि “महसूस” कर सको
उनके होने का एक-एक एहसास
अपने बहुत ही पास..हां, बहुत ही पास ,
क्योंकि ये मौसम
है ही आत्मिक रिश्तों के प्रेम का,,है न !!
नमिता गुप्ता “मनसी”
मेरठ, उत्तर प्रदेश