क्यों

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फूल बता दे, शूल बता दे

शाखा, पत्ती, मूल बता दे

मग के मिट्टी, धूल बता दे

शम्भू के त्रिशूल बता दे

प्रातः में क्यों झुँझलाहट है

कलरव में क्यों अकुलाहट है?

झुलसा रहा है मलय पवन क्यों

डरा रहा क्यों हर आहट है?

ठिठक रही क्यों निर्झरणी है

सिमट रही क्यों यह धरणी है?

प्यासे हैं क्यों लहू,लहू के

दुःखी स्वयं क्यों दुःखहरणी है?

भानु बता दे, चन्द बता दे

उडगण, जुगनू वृन्द बता दे

स्पन्दन निस्पन्द बता दे

आदि कवि के छन्द बता दे

रिश्तों में क्यों रूखापन है

बोझिल सा क्यों घर-आँगन है?

फाग जल रहा आग में क्यों कर

भूल रहा क्यों पथ सावन है?

गाण्डीव क्यों श्रीहीन पड़ा है

भरत क्यों पौरुषहीन खड़ा है?

आज वैदेही का सुन क्रन्दन

गीधराज क्यों मौन पड़ा है?

✍️नंदन पंडित 

 इटियाथोक, गोण्डा- उत्तर प्रदेश 

मो॰ न॰ 9415105425