रघुबर के गुन गाऊँ     . 

सुनो जी मैं तो रघुबर के गुन गाऊँ । 

दशरथ नन्दन असुर निकन्दन , 

हे मद मोह लोभ दुख भंजन , 

चरनन शीश झुकाऊँ । 

सुनो जी मैं तो……….. 

बहु बिधि बाल चरित प्रभु किन्ही, 

कौशल्या को अति सुख दिन्ही ,  

गाइ चरित सुख पाऊँ । 

सुनो जी मैं तो……….. 

तारि अहिल्या शिवधनु तोड़े , 

भुपन्हि मान मर्दन करि छोड़े , 

ब्याहि सिया घर आए । 

सुनो जी मैं तो……….. 

पिता बचन हित बन में आए ,  

केवँट से प्रभु चरन धुलाए , 

मुनिजन अभय बनाए । 

सुनो जी मैं तो……….. 

कोल किरातन्हि गले लगाए , 

जूठे बेर शबरी के खाए , 

पावन प्रेम निभाए । 

सुनो जी मैं तो……….. 

बन्दर भालु से किए मिताई , 

अगम अगाध समुद्र बँधाई , 

अधम असुर संहारे । 

सुनो जी मैं तो……….. 

     ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

   आरा, भोजपुर, बिहार

   मो.नं. 8210058213