नील गगन के तलें ..पेड़ों के झुरमुट के मध्य अपना आशियाना बनाने वाले गरीब लोग अपनी ग्रहस्थी का सारा साज़-सामान भगवान भरोसे छोड़ कर दो-जून की रोटी की जुगत में मज़दूरी करने चले जाते हैं… ना कोई चिंता ना कोई फ़िक्र….!

विवरण एवं छाया – ऋतुराज बुड़ावनवाला, खाचरौद (उज्जैन)