भोपाल । जानलेवा कोरोना वारयस महामारी से निपटने की तैयारियों को लेकर माकड्रिल में प्रदेश के 195 में से 34 आक्सीजन जनरेशन प्लांट बंद मिले हैं। 32 प्लांटों में आक्सीजन की शुद्धता 90 प्रतिशत से कम मिली है। इसके अलावा कुछ अस्पतालों में आक्सीजन आपूर्ति का दबाव मापदंड के अनुरूप नहीं मिला है।अभी तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दावा कर रहे थे कि सभी आक्सीजन जनरेशन प्लांट क्रियाशील हैं लेकिन प्रदेश भर में हुई माकड्रिल में सच्चाई सामने आ गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर प्रदेश भर में माकड्रिल की गई थी। अब यह रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जा रही है। बता दें कि ज्यादातर अस्पतालों में आक्सीजन जनरेशन प्लांट पीएम केयर फंड से लगाए गए हैं। संचालन के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था करने का काम राज्य सरकार का है।हर तीन महीने में माकड्रिल कर यह देखना है कि यह क्रियाशील हैं या नहीं लेकिन कई जिलों में इस पर ध्यान नहीं दिया गया। जिलों में कोरोना मरीजों की संख्या कम होने के कारण अधिकारियों ने अनदेखी की। उधर स्वास्थ्य मंत्री डा. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि माकड्रिल में छोटी-मोटी कमियां मिली हैं जिन्हें दुरुस्त कर लिया जाएगा। बता दें कि प्रदेश में 204 आक्सीजन जनरेशन प्लांट स्वीकृत हुए थे। इनमें 195 शुरू हुए थे। इनकी उत्पादन क्षमता 183 टन प्रतिदिन की थी अगर सभी प्लांट चलें तो उत्पादन क्षमता बढ़कर अब 934 टन प्रतिदिन हो चुकी है। दूसरी लहर के दौरान एक दिन में सर्वाधिक 526 टन आक्सीजन की जरूरत पड़ी थी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुधवार को जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार मंगलवार को 99 सैंपलों की जांच में कोई संक्रमित नहीं मिला। हर दिन 100 से 150 सैंपलों की जांच की जा रही है।कोरोना वायरस के नए सब वैरीएंट बीएफ-7 के संक्रमण की आशंका के बीच अच्छी खबर है कि प्रदेश में पिछले पांच दिनों से कोरोना का एक भी मरीज नहीं मिला है।