नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े डिप्लोमेट कौन थे? इस सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने महाभारत और रामायण का प्रसंग सामने रखते हुए हिंदी में दिलचस्प जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सबसे बड़े डिप्लोमेट भगवान श्रीकृष्ण और हनुमान जी थे। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोग कह रहे हैं कि इतिहास और धार्मिक ग्रंथों से हमें नई दृष्टि मिलती है। वायरल वीडियो में विदेश मंत्री कहते सुने जाते हैं कि मैं आपको बहुत सीरियस उत्तर दे रहा हूं। अगर आप उनको कूटनीति के परिप्रेक्ष्य में देखिए कि वे किस स्थिति में थे उन्हें मिशन क्या दिया गया था। किस तरीके से उन्होंने हैंडल किया। हनुमान जी ने तो इतना इंटेलिजेंस भी किया और मिशन के आगे भी बढ़ गए। सीता जी से मिले और लंका को भी जला दिया। विदेश मंत्री पुणे में अपनी किताब ‘द इंडिया वे’ के मराठी अनुवाद ‘भारत मार्ग’ के विमोचन के अवसर पर पहुंचे थे। यहां वह पत्रकारों के सवालों का जवाब देने लगे। इसी दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लोग विदेशी किताबों और लोगों का हवाला देते हैं लेकिन भारत में ही सब मौजूद है।
पुणे में जयशंकर ने कहा कि हनुमान जी तो मल्टीपर्पज डिप्लोमेट थे। मैं आपसे कहूंगा कि दुनिया के 10 स्ट्रैटिजिक कॉन्सेप्ट आज के जो हैं मैं उसका महाभारत से एक-एक उदाहरण दे सकता हूं। अगर आप कहें कि बहुध्रुवीय दुनिया है उस समय कुरुक्षेत्र के मैदान में क्या हो रहा था? उस समय बहुध्रुवीय भारत था। अलग-अलग राज्य थे सबको कहा गया कि आप उनके साथ हैं मेरे साथ हैं बलराम जैसे बिना गुट वाले भी उस समय थे।
जयशंकर ने कहा कि हम कहते हैं कि ग्लोबल दुनिया है ये अड़चनें हैं। अर्जुन की दुविधा क्या थी वह भावनात्मक रूप से दूसरों से जुड़े थे। वह सोच रहे थे कि मैं अपने रिश्तेदारों के खिलाफ कैसे लड़ाई लड़ूं। जयशंकर ने कहा कि कभी-कभी हम कहते हैं कि पाकिस्तान ने ये किया वो किया चलो हम स्ट्रैटिजिक पेशेंस दिखाते हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण कृष्ण भगवान हैं जिस तरह से उन्होंने शिशुपाल को हैंडल किया। 100 बार उन्होंने क्षमा किया।
जयशंकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जान-बूझकर चीन के मुद्दे पर गलत जानकारी फैला रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि 1962 में चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा किया था लेकिन कुछ लोग ऐसा बता रहे हैं जैसे यह हाल में हुआ है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में पिछले आठ से नौ वर्षों में बहुत बड़ा बदलाव देखा गया है। ‘आत्मनिर्भर’ बनने के बाद देश एक अग्रणी ताकत होगा।