जहां कहीं इतराती दिखेंगीं तुम्हें
पीली-पीली तितलियां
रंग-बिरंगे फूलों पर,
सोख रही होगी जहां हंसकर
शरारती हवा
चटख धूप का पीलापन ,
जहां कहीं सुनोगे तुम
कानाफूसी
गुलमोहर-अमलतासों में ,
बाट जोह रहे होंगें कब से
सूरज की
जहां टकटकी लगाए सूरजमुखी ,
कुदकती-फुदकती झूम रही होगी जहां
बारिश की अल्हड़ बूंदें ,
शान से झूल रहे होंगें जहां
सतरंगी इन्द्रधनुष ,
और..
महफूज़ रहेंगे जहां
दुनिया के समस्त प्रेमी-प्रेमिकाएं
अपने मौन संग,
सुनों
ठहरे मिलेंगे हम-तुम वहीं
उनकी प्रत्येक प्रेम-कविता में !!
नमिता गुप्ता “मनसी”
मेरठ, उत्तर प्रदेश