सोने के मृग पर लुभाई जग जननी  . 

सोने के मृग पर लुभाई जग जननी । 

रिद्धी सिद्धी जाके टहल बजावै, 

कंचन मिरिग सोइ मन को भावै, 

मरम न जान कोइ पाई जग जननी । 

सोने के मृग पर लुभाई……. 

पल में तु रचती हो सृष्टी ये सारी, 

पालती औ पोषती मिटाती न देरी, 

कंचन मिरिग कैसे भाई जग जननी । 

सोने के मृग पर लुभाई……. 

पूजत हैं तोहके सकल नर नारी, 

देव मुनिजन ब्रह्मा त्रिपुरारी, 

माया के मृग पर लुभाई जग जननी । 

सोने के मृग पर लुभाई……. 

      ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

   आरा, भोजपुर, बिहार

   मो.नं. 8210058213