गीत 

नई-नई को कोंपलें नए नए रंग ढंग  

लिए आया इठलाता ऋतुराज बसंत 

पहनी है पेड़ों ने अनचीन्ही हरीतिमा 

षोडशी ज्यों खड़ी बन लज्जा प्रतिमा 

झूम रहा है आज नव व्योम भी अनंत 

लिए आया इठलाता ऋतुराज बसंत

डाल-डाल गुनगुनाए कोई नया गीत है 

झूम रहा पात पात कि नया नया मीत है 

कोयल के गाने से गूंज रहा है दिगंत

लिए आया इठलाता ऋतुराज बसंत

मंद मंद पवन चले तृण तृण का मन भींगे

धरा का कण कण  नया नया ही दीखे 

हो रहा है साधु मन आज चंचल असंत 

लिए आया इठलाता ऋतुराज बसंत

सारा वन पुष्पित है फैलाए मधुर सुगंध 

बौराई आम की डाली सरसों हंसे मंद मंद 

पाया है जैसे सबने संतोषी कोश अनंत 

लिए आया इठलाता ऋतुराज बसंत 

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डॉ टी महादेव राव

विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश)

9394290204