:: भारतीय बल्लेबाजी कोच ने होलकर के टर्निंग पिच पर हैरानी जाहिर कर भारतीय बल्लेबाजों के फ्लॉप-शो का बचाव किया ::
इन्दौर । होलकर स्टेडियम में पहले दिन मैच के पहले सत्र में ही भारतीय टीम के 7 विकेट गवॉं दिए। वजह इन्दौर की स्पोर्टिंग पिच को ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर्स की फिरकी ने टर्निंग पिच में बदल दिया और देखते ही देखते पूरी टीम 109 रनों पर धराशाही हो गयी। सवाल उठाए जाने लगे कि शिकारी खुद शिकार हो गए… जो अपने ही जाल में फंस गए.. भारतीय धुरंधर कंगारू स्पिनर्स की फिरकी के सामने नतमस्तक हो गए..! क्या टीम की तैयारी ठीक नहीं थी, जो स्पिनर्स का सामना नहीं कर पाए? भारतीय टीम के बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़ इन बातों को नकारते हुए बेबाक तरीके से अपनी बात मीडिया के सामने रखी। उन्होने होलकर स्टेडियम की टर्निंग पिच पर हैरानी जताई और भारतीय बल्लेबाजों के फ्लॉप-शो का बचाव भी किया। उन्होने कहा कि भारतीय बल्लेबाजों के लिए पहला दिन निराशाजनक रहा, क्योंकि होलकर स्टेडियम की यह पिच उनकी उम्मीदों से कहीं ज्यादा टर्न ले रही थी। इसी पिच पर ऑस्ट्रेलिया ने पहले दिन खेल समाप्ति तक 4 विकेट खोकर 156 रन बनाए और 47 रन की बढ़त बनाई। मैच के शुरूआती घंटे में ही गेंद ने टर्न लेना शुरू कर दिया था, इसको लेकर आलोचकों ने भी खुलकर पिच की बुराई की। टीम इंडिया मात्र 109 रनों पर सिमट गई, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के बाएं हाथ के स्पिनर मैट कुहनेमैन ने 16 रन देकर पांच विकेट झटके। उन्होने यह भी कहा कि घरेलू मैदानों की टर्निंग पिच पर खेलना भारतीय टीम का मजबूत पक्ष रहा है।
प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान कोच विक्रम राठौड़ ने हैरानी व्यक्त करते हुए इन्दौर के विकेट को चुनौतीपूर्ण बताया और कहा कि इस पिच पर उम्मीद से ज्यादा टर्न मिल रहा था। नमी के कारण ऐसा हो सकता है; सुबह के सत्र में गेंद तेजी से टर्न मिल रहा था। उन्होने कहा कि टीम निश्चित रूप से इससे ज्यादा रन बना सकती थी, लेकिन उन्हें ऐसा कतैई नहीं लगता कि किसी भी बल्लेबाज ने खराब क्रिकेट खेला हो। बल्लेबाजी की दृष्टि से आप मान सकते है कि यह दिन हमारे लिए काफी निराशाजनक रहा। टर्निंग पिच के जोखिम पर राठौड़ ने कहा कि यदा-कदा वे भी इसमें पिछड़ सकते हैं लेकिन यह पक्ष हमेशा टीम की मजबूती रहेगा। उन्होने कहा कि बल्लेबाजी के तौर पर आप एकाध-बार आउट हो सकते है, लेकिन हम अब भी टर्निंग पिच पर खेलने को प्रधानता देते हैं। यह हमारी मजबूती है। उन्होने ईमानदारी से स्वीकारा कि यह अपनी तरह का अलग ही पिच है। विक्रम राठौड़ ने कहा कि शुरूआती दोनों मुकाबलों में भी पिच ख़राब थी, उन्हें ऐसा नहीं लगता। हमें जैसी उम्मीद थी शायद यह थोड़ा सूखा है और यह नज़र भी आया। टेस्ट मैच के पहले दिन इस पर काफी ज्यादा टर्न मिला, जो उम्मीद से कहीं ज्यादा था। राठौड़ ने कहा कि यहां क्यूरेटरों को विकेट तैयार करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला; यहां रणजी ट्रॉफी के मुकाबले हो रहे थे। इन्दौर में यह टेस्ट मैच कराने का फैसला भी काफी काफी देरी से लिया गया, क्योंकि यह टेस्ट पहले धर्मशाला में होना था; जो अचानक यहां स्थानांतरित किया गया। इसलिए क्यूरेटरों को पिच तैयार करने के लिए बमुश्किल से समय मिला। राठौड़ को भी यह लगा कि जैसे-जैसे दिन बढ़ता गया, इस विकेट पर खेलना आसान होता नज़र आया। क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के उस्मान ख्वाजा ने 147 गेंद में 60 रन की पारी खेली और उस समय पिच सुबह की तरह इतनी तेजी से टर्न लेती नज़र नहीं आ रही थी। बल्लेबाजों के अपनी रणनीति से भटकने के सवाल पर उन्होने कहा कि ऐसा नहीं है, योजना अपने डिफेंस पर भरोसा करने की थी और लूज गेंद का इंतजार करके अधिक से अधिक रन बटोरने की थी। लेकिन इसे उन दिनों में एक गिना जाएगा, जब आपका हर शॉट क्षेत्ररक्षकों के हाथ में जाता दिखा। कुलमिलाकर यह दिन हमारे लिए निराशाजनक ही रहा।
ऑस्ट्रेलिया द्वारा 47 रनों की बढ़त बनाने पर राठौड़ का कहना था कि बढ़त बना लेना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि उन्हें इस पिच पर हम चौथी पारी में भी बल्लेबाजी देखने की उम्मीद करते है। अब हमारे सामने चुनौती ओस्ट्रेलिया की पारी को कम से कम स्कोर पर निपटाने की होगी और दूसरी पारी में निश्चित रूप से भारत को एक अच्छा स्कोर खड़ा करना होगा।