इन्दौर । पर्यावरण संकट आज के समय की बड़ी चुनौती है, हालांकि जलवायु परिवर्तन अपरिहार्य है लेकिन बढ़ते उपभोक्तावाद के साथ हमने इस प्रक्रिया को तेज कर दिया है और अब हालत यह हो गई है की इससे मनुष्यता के लिए संकट खड़ा हो गया है।
यह बात म.प्र. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अनिल वर्मा ने शुक्रवार को पद्मश्री डॉ. एन.एन. जैन नेशनल मूट कोर्ट कंपीटिशन के शुभारम्भ समारोह के अवसर पर कही। जस्टिस वर्मा ने कहा की जलवायु संकट एक ऐसा विषय है जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरुरत है। यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की जाती है तो पृथ्वी निर्जन हो जाएगी।भारत के धर्मग्रंथो, संस्कृति के जोर देने के बाद भी मनुष्य ने प्रकृति का दोहन करना शुरू कर दिया। आज़ादी के बाद न्यायालय ने अपने स्तर पर पर्यावरण सरक्षण के लिए काफी कोशिशे की। कई अहम् निर्णय दिए। जैसे जंगल और गंगा, यमुना आदि नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए आवश्यक न्यायिक निर्देश जारी करना। लेकिन अभी और प्रयास जरुरी है।
:: सोयाबीन के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का नकारात्मक प्रभाव : डेविश जैन
प्रेस्टीज एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमेन डॉ. डेविश जैन ने कहा की हालांकि वे एक उद्योगपति है, विधिवेत्ता नहीं। लेकिन कानून के साथ उनका जुड़ाव पिछले चार दशकों से है और इस बार की जो मूट प्रॉब्लम है, वह भी उनके लिए काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि सोयाबीन इंडस्ट्री से जुड़ा होने के कारण सोयाबीन उत्पादन उनके लिए काफी, मायने रखता है और जलवायु परिवर्तन का काफी नकारात्मक प्रभाव इस क्षेत्र में हो रहा है। आज उद्योगपति, आम नागरिक, सरकार, न्यायपालिका आदि सभी को इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
:: छात्र पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करें : डॉ. व्ही. विजय कुमार
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी भोपाल के वाईस चांसलर डॉ. व्ही. विजय कुमार ने इस अवसर पर कहा की विधि के छात्रों की यह विशेष जिम्मेदारी है की वह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करें। पीआईएमआर डिपार्टमेंट ऑफ़ लॉ के डायरेक्टर डॉ. निशांत जोशी ने कहा कि प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट के डिपार्टमेंट ऑफ़ लॉ द्वारा तीन दिवसीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता हर वर्ष की तरह इस बार भी आयोजित की गई है, जिसमें देश भर से 45 से अधिक संस्थानों के छात्र भाग ले रहे हैं।