(सीता जी की माँ गंगा से विनती)
मोरे प्रभु जी उतरिहैं पार,
हे गंगा मैया धीरे बहो ।
प्रभु के चरन से तु निकली हे गंगा मैया,
पहुँची तिरथ हरिद्वार ।
हे गंगा मैया धीरे बहो ।
मोरे प्रभु जी उतरिहैं पार…….
चलत चलत मैया पहुँची त्रिवेणी,
पूजन करतु हैं तोहार ।
हे गंगा मैया धीरे बहो ।
मोरे प्रभु जी उतरिहैं पार…….
पति जी देवर जी पर किरपा करहु मैया,
माँगत हौं यही वरदान ।
हे गंगा मैया धीरे बहो ।
मोरे प्रभु जी उतरिहैं पार…….
सकुशल लौट कर जब ऐबो हे माता,
पूजन हम करबो तोहार ।
हे गंगा मैया धीरे बहो ।
मोरे प्रभु जी उतरिहैं पार…….
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
आरा, भोजपुर, बिहार
मो.नं. 8210058213