-हजार साल तक नहीं होगी मरम्मत की जरुरत, भूकंप भी नहीं हिला पाएगा
अयोध्या । अयोध्या में तैयार हो रहे राम लला मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे हजारों साल तक मरम्मत की जरुरत नहीं होगी, न ही इसे तीव्रता का भूकंप भी हिला सकेगा। यह खुलासा ट्रस्ट की ओर से किया गया है। गौरतलब है कि मंदिर का अगले साल जनवरी में उद्घाटन होने की उम्मीद है। मंदिर निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। और लोगों की उत्सुकता भी उतनी ही तेजी से बढ़ रही है। जिस तरह से मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, इसमें कोई दो मत नहीं है कि यह भविष्य में भारत के दर्शनीय स्थलों में से एक बनेगा। अब इस मंदिर को लेकर एक जानकारी और सामने आई है कि, मंदिर को हजार साल तक किसी मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ेगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि अगले एक हजार साल तक मंदिर को ना तो किसी मरम्मत की जरूरत पड़ेगी, ना ही इसमें किसी तरह की कोई दिक्कत आएगी। यहां तक कि मंदिर को 6.5 रिक्टर पैमाने जैसी उच्चतम तीव्रता वाले भूकंप भी इसे हिला नहीं पाएंगे।
मंदिन को बनाने वाली निर्माण एजेंसी एलएंडटी के परियोजना निदेशक विनोद कुमार मेहता का कहना है कि, हमने जहां पिलर की मोटाई को बढ़ाया है वहीं दीवारों में भी भारी पत्थरों का इस्तेमाल किया है। इसके साथ ही नींव को मजबूत बनाने के लिए उसमें भी भारी पत्थरों को ही लगाया गया है। इमारत को नीचे से ऊपर तक इतना मजबूत तैयार किया गया है कि बड़े झटके भी इसे किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचा सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चंपत राय का कहना है कि मंदिर की नींव 50 फीट गहरी और पूरी तरह से पत्थर, सीमेंट और दूसरी सामग्री की बनी हुई है। मंदिर निर्माण में स्टील या लोहे का कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। नींव के लिए पहले एक 50 फीट गहरा, 400 फीट लंबा और 300 फीट चौड़ा गड्ढा खोदा गया जिसे फ्लाइ एश (राख) और छोटे पत्थरों सहित अन्य निर्माण सामग्री और ठोस सीमेंट की परतों से भरा गया ।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया, ‘राम मंदिर के भूतल पर 80 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसके साथ ही कुल 162 स्तंभ तैयार हैं और इन स्तंभों पर केरल और राजस्थान के कारीगर मिलकर 4,500 से अधिक मूर्तियां बना रहे हैं। ये मूर्तियां भक्तों को त्रेता युग की एक झलक देंगी। यही नहीं राम मंदिर का ढांचा संगमरमर से बना है, जबकि दरवाजे महाराष्ट्र से लाई गई सागौन की लकड़ी से बने हैं, जिन पर नक्काशी का काम भी शुरू हो गया है। गर्भगृह में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा 15 से 24 जनवरी के बीच कभी भी की जा सकती है और अक्टूबर महीने तक मंदिर के भूतल का काम पूरा हो जाएगा। रामलला की मूर्ति मंदिर की पहली मंजिल पर स्थापित की जाएगी।