40 की उम्र के बाद महिलाएं ऐसे रखें अपनी सेहत का ख्याल

घर परिवार का ध्यान रखने के दौरान महिलाएं अपनी सेहत की ओर ध्यान नहीं देतीं, ऐसे में 40 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते वे बिमारियों की गिरफ्त में आने आने लगती हैं। महिलाओं को सुबह शाम उठते बैठते जोड़ों और घुटनों में दर्द होने लगता है। महिलाओं में आर्थराइटिस (जोड़ों के दर्द) का कारण पोषक तत्वों की कमी और मोटापा है।
आम तौर पर महिलाएं इसे उम्र बढ़ने का संकेत मानकर नजरअंदाज कर देती हैं। ऐसे में विशेषज्ञ से संपर्क कर शुरुआता में ही इलाज करा लें। घुटनों में सुबह-सुबह दर्द, अकड़न, लॉकिंग एवं पॉपिंग से शुरुआत होने से लेकर जोड़ों में सूजन होने तक, यह आर्थराइटिस के संकेत हो सकते हैं जोकि एक प्रगतिशील ज्वाइंट स्थिति है और अधिकतर भारतीय महिलाएं इन संकेतों को नजरअंदाज करती हैं।
सही समय पर पहचान :
वहीं महिलाएं तभी डॉक्टर के पास जाती हैं जब यह स्थिति ऐसे स्टेज में पहुंच जाती है जब दर्द असहनीय हो जाता है। याद रखें कि देरी होने से जोड़ों को होने वाला नुकसान कई गुणा बढ़ा सकता है। यदि इसका शुरुआती चरणों में इलाज हो जाए, तो पारंपरिक उपचारों की मदद से इस स्थिति को बढ़ने में विलंब किया जा सकता है।
वजन पर नजर :
मोटापा बढ़ना महिलाओं में जोड़ों की बिमारी का बड़ा कारण है। हमारे जोड़ कुछ हद तक ही वजन उठा सकते हैं। प्रत्येक एक किलो अतिरिक्त वजन घुटनों पर चार गुना दबाव डाल सकता है। क्षमता से अधिक वजन जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए सही वजन का मतलब है स्वस्थ जोड़।
30 मिनट की वाक : हर दिन 30 मिनट की वॉक हड्डियों एवं जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकती है।
छोटी-मोटी चोटों को गंभीरता से लें : हम जोड़ों के आसपास लगी छोटी-मोटी चोटों को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। इससे हानिकारक स्थितियां पैदा हो सकती हैं, जैसे भविष्य में आर्थराइटिस हो सकता है। यदि दर्द बार-बार हो रहा है तो विशेषज्ञ की सलाह लें। हम अक्सर ऐसे मरीजों को देखते हैं जहां ज्वाइंट इंजरी ज्वाइंट डिजनरेशन का कारण बन जाती हैं।
शरीर के पॉश्चर पर रखें नजर : गलत पॉश्चर से जोड़ों, खासतौर से घुटने पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। घुटने शरीर में सबसे अधिक भार सहन करने वाले जोड़ हैं। इससे घुटने में दर्द हो सकता है। सही पॉश्चर रखना, काम के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेना, नियमित रूप से स्ट्रेचिंग करना और अपने पॉश्चर को बीच-बीच में ठीक करने से घुटने के दर्द को कम करने में मदद मिलती है।
अपने मन से दर्दनिवारक दवाओं का इस्तेमाल न करें : आमतौर पर, हम अक्सर शरीर में दर्द होने पर डॉक्टर से सलाह लिए बिना दर्दनिवारक दवाओं का सहारा लेते हैं। दर्दनिवारक दवाओं से भले ही हमें दर्द से फौरन राहत मिल जाती है पर वह सही इलाज नहीं है। इससे और परेशानियां उभर सकती हैं। इसलिए दवा देने की जगह विशेषज्ञ डॉक्टर के पास दिखाएं।