राजपूत इतिहास के साथ सुनियोजित छेड़छाड़ और आर्थिक आरक्षण पर नए सिरे से करेंगे आंदोलन

:: अ.भा. क्षत्रिय महासभा के प्रांतीय महाधिवेशन में दूसरे दिन भी राजनीतिक दल रहे निशाने पर – सम्मान के साथ समापन ::
इन्दौर । अ.भा. क्षत्रिय महासभा के प्रांतीय महाधिवेशन में आज भी राजनीतिक दलों द्वारा समाज की उपेक्षा और राजपूत समाज के इतिहास के साथ की जा रही छेड़छाड़ पर वक्ताओं ने खुलकर अपना गुस्सा जाहिर किया। महासभा के तीन वर्ष के लिए नवनिर्वाचित अध्यक्ष ठा. महेन्द्रसिंह तंवर ने समाजबंधुओं का आव्हान किया कि वे क्षत्रिय समाज के इतिहास के विकृतिकरण को रोकने के लिए दृढ़ संकल्पित बने और सरकार पर दबाव बनाए कि हमारे महापुरुषों की शौर्यगाथाएं, उनके द्वारा किए गए सेवाकार्यों, दानवीरता आदि के तथ्यात्मक विवरण भी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करें। आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए भी इस महाधिवेशन में नए सिरे से आंदोलन शुरू करने तथा राजपूत समाज के छात्र –छात्राओं को भी अन्य समाजों की तरह छात्रवृत्ति देने की मांगें उठाई गई। बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहनसिंह ने भी महापुरुषों के बंटवारे की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि बहरी सरकार को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है। रियासतों ने जो कुर्बानियां दीं है, वे भी इतिहास में दर्ज होना चाहिए।
माणिक बाग रोड स्थित मथुरा महल पर आज सुबह देश के 16 राज्यों से आए करीब ढाई सौ प्रतिनिधियों और मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से आए राजपूत बंधुओं ने पहले वाहन रैली के रूप में महूनाका पहुंचकर महाराणा प्रताप और वहां से राजबाड़ा स्थित देवी अहिल्या की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ कार्रवाई प्रारंभ की। मथुरा महल पर भगवा ध्वज की वंदना के साथ सिरोही के पूर्व महाराजा महाराव रघुवीरसिंह सिरोही, ठा. महेन्द्रसिंह तंवरस बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहनसिंह, जशपुर के पूर्व सांसद महाराजा रणविजयसिंह जूदेव, युवराज यशप्रतापसिंह जूदेव, अवागढ़ के युवराज अम्बरीश पाल सिंह, नरसिंहगढ़ के विधायक राज्यवर्धनसिंह, बस्सी (राजस्थान) पूर्व महारानी महेन्द्र कंवर, पूर्व राजा नरेन्द्रसिंह डूंगरपुर (मथुरा) के आतिथ्य में महाधिवेशन का शुभारंभ हुआ। अतिथियों का स्वागत राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ठा. विजयसिंह परिहार, राजेन्द्रसिंह सोलंकी, महामंत्री अनिलसिंह चंदेल, प्रदेशाध्यक्ष रामवीरसिंह सिकरवार, महिला प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती अंजनासिंह राजावत, संभागीय अध्यक्ष मुकेशसिंह गौतम, दुलेसिंह राठौर, दीपेन्द्रसिंह सोलंकी, तुलसीराम रघुवंशी, सुनीलसिंह परिहार, गोविंदसिंह परिहार, दिलीपसिंह पंवार, आशुतोषसिंह शेखावत, अजयसिंह किला अमरगढ़, मालासिंह ठाकुर, मोहनसिंह सेंगर, पार्षद राजीवसिंह भदौरिया, निरंजनसिंह चौहान गुड्डू, श्रवणसिंह चावड़ा सहित प्रदेश एवं संभाग तथा जिले के पदाधिकारियों ने किया।
महाधिवेशन को युवा इकाई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अंशुमानसिंह (बिहार), युवराज यशप्रतापसिंह जूदेव, शांतनु चौहान, डॉ. शैलेन्द्र पाल सिंह अलीगढ़, आरतीसिंह (गुजरात), डॉ. देवेन्द्र जादौन (सवाई माधोपुर), पंजाब के प्रदेशाध्यक्ष डिम्पल राणा, हरियाणा के अमरपालसिंह राणा, महिला इकाई की राष्ट्रीय अध्यक्ष रानी महेन्द्र कुंवर बस्सी, दिल्ली से आए सर्वोच्च न्यायालय के अभिभाषक ए.पी. सिंह, आर.एस. सोलंकी, हिमाचल प्रदेश के ठा. सुंदरसिंह, जशपुर के पूर्व महाराजा रणविजयसिंह जूदेव, नरसिंहगढ़ के विधायक राज्यवर्धनसिंह, मथुरा के पूर्व शासक राजा नरेन्द्रसिंह डूंगरपुर एवं ठा. आनंद मोहनसिंह (बिहार) आदि ने अपने ओजस्वी विचार व्यक्त करते हुए राजपूताना आन, बान, शान की चर्चा भी की और कल पारित किए गए विभिन्न प्रस्तावों पर अपनी बेबाक राय भी रखी।
:: लठैतों के बिना नहीं चलती पार्टियां ::
ठा. आनंदमोहन सिंह ने अपने ओजस्वी उदबोधन में कहा कि राजनीतिक पार्टियां लठैतों के बिना नहीं चल सकती। उन्हें जन बल और धन बल भी चाहिए होता है। हम और कुछ नहीं, विश्वास और हिम्मत हार गए हैं। हम चाहें तो राष्ट्रीय राजनीति में भूचाल पैदा कर सकते हैं। हम जहां से गुजरते हैं, टाइगर रिजर्व एरिया की तरह माहौल बना सकते हैं। हमारे इतिहास को सुनियोजित ढंग से बांटा जा रहा है। महापुरुषों का बंटवारा कर दिया गया है। फिल्मों में राजपूतों के इतिहास को घटिया मनोरंजन का माध्यम बना दिया गया। देश के लिए कुर्बानी में सबसे पहले राजपूत आगे रहे, लेकिन आज उन्हीं की सबसे ज्यादा उपेक्षा हो रही है। रियासतों के शासकों ने देश की एकता की खातिर अपनी जमीनें, जायदादें और रियासतें तक कुर्बान कर दी, लेकिन इतिहास में उनका कोई उल्लेख नहीं है। अब यह तय कर लीजिए कि जो पार्टी सबसे ज्यादा राजपूतों को टिकट देगी, हम उनका ही समर्थन करेंगे। राजपूत बाहुल्य सीटों पर राजपूतों को ही टिकट मिलना चाहिए।
:: नए सिरे से आंदोलन करेंगे ::
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में ठा. महेन्द्रसिंह तंवर ने कहा कि आज 16 राज्यों के एक हजार से अधिक प्रतिनिधि यहां मौजूद हैं। कल के प्रस्तावों पर आज मोहर लग चुकी है। अब हम इतिहास में हो रहे विकृतिकरण के खिलाफ अपना नया कदम उठाएंगे। हम सबको दृढ़ संकल्पित होना चाहिए कि हमारे महापुरुषों की शौर्यगाथाएं भी दर्ज हों। हमारें पूर्व शासकों ने अरबों की जमीनें कालेजों, धर्मशालाओं, सड़कों और पुलों के लिए दान दी है, लेकिन उनका कहीं कोई जिक्र नहीं है। इसी तरह एट्रोसिटी एक्ट के दुरुपयोग का मामला भी चिंता का विषय है। इसके खिलाफ भी हमें मैदान में उतरना होगा। राजपूत बालक-बालिकाओं को छात्रवृत्ति देने, आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने और महिलाओं, युवाओं, किसानों के हित में आवाज उठाने के लिए हमें नए सिरे से आंदोलन करने के लिए तैयार रहना चाहिए। मुख्य अतिथि सिरोही के पूर्व महाराजा पद्मश्री रघुवीरसिंह ने राजपूत इतिहास का दिलचस्प विवरण दिया। ठा. विजयसिंह परिहार ने भी विभिन्न प्रस्तावों का समर्थन किया। महामंत्री अनिल सिंह चंदेल ने भी अपने विचार रखे। महाधिवेशन की समापन बेला में विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों का दुपट्टे एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ठा. विजयसिंह परिहार को भी महासभा की ओर से अतिथियों ने करतल ध्वनि के बीच सम्मान पत्र भेंट किया। उत्तराखंड से आए प्रतिनिधियों सभी अतिथियों को गंगाजल एवं रूद्राक्ष की माला भेंट की। अंत में महाधिवेशन में सहयोग देने वाले सभी कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों का सम्मान किया गया। आभार माना ठा. विजयसिंह परिहार ने।