छत्रपति शिवाजी का बाघ नख स्वदेश लाने की तैयारी पूरी

मुंबई । महाराष्ट्र सरकार ने लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में रखे छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रसिद्ध बाघ नख को भारत लाने की पूरी तैयारी कर ली है। इस नख को तीन साल तक भारत में रखा जाएगा। छत्रपति शिवाजी महाराज ने वर्ष 1659 में बीजापुर सल्तनत के जनरल अफजल खान को हराने के लिए इस प्रसिद्ध वाघ नख, बाघ का पंजा का इस्तेमाल बतौर अस्त्र किया था। प्राप्त जानकारी के मुताबिक नवंबर में लंदन से यह धरोहर महाराष्ट्र लाया जाएगा। महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार बाघ नख की वापसी के लिए संग्रहालय के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मंगलवार को लंदन पहुंचेंगे। महाराष्ट्र के मंत्री ने कहा‎ कि पहले चरण में, हम बाघ नख ला रहे हैं। इसे नवंबर में यहां लाया जाना चाहिए, और हम इसके लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। हमारा प्रयास इसे उस दिन लाना है जब छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान को मारा था।
उम्मीद है कि बाघ नख को दक्षिण मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय में रखा जाएगा। उल्लेखनीय है ‎कि साल 1659 में प्रतापगढ़ की लड़ाई में मराठों की जीत छत्रपति शिवाजी के मराठा साम्राज्य की स्थापना के अभियान में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। संख्या में कम होने के बावजूद, मराठों ने अफजल खान के नेतृत्व वाली आदिलशाही सेना को हरा दिया, जिससे एक शानदार सैन्य रणनीतिकार के रूप में छत्रपति शिवाजी की प्रतिष्ठा बढ़ गई।
छत्रपति शिवाजी ने महाराष्ट्र के वर्तमान सतारा जिले में प्रतापगढ़ किले की तलहटी में अफजल खान को मार डाला था। यह प्रसंग तब से लोककथाओं का हिस्सा बन गया है, जो एक बहुत बड़े और अधिक शक्तिशाली दुश्मन को हराने में छत्रपति शिवाजी की बहादुरी और चतुराई का प्रतीक है। मुनगंटीवार ने कहा ‎कि जब अफजल खान ने शिवाजी महाराज की पीठ में छुरा घोंप दिया, तो शिवाजी महाराज ने क्रूर, राक्षसी अफजल खान को मारने के लिए बाघ नख का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा ‎कि बाघ नख हमारे लिए प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। इस वर्ष शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ भी है। महाराष्ट्र में बाघ नख की प्रामाणिकता पर बहस चल रही है। इतिहास विशेषज्ञ इंद्रजीत सावंत ने बताया है कि विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय की वेबसाइट बताती है कि छत्रपति शिवाजी ने हथियार का इस्तेमाल नहीं किया था।