इन्दौर । वर्तमान युग धर्म जागरण का है। धर्म से समाज को चैतन्यता मिलती है। धर्म वही हो सकता है, जिसमें सेवा और परमार्थ का भाव हो। भारतीय संस्कृति परंपराओं और मर्यादाओं से जुड़ी हुई है। भगवान का अवतरण जीवमात्र के कल्याण और उद्धार के लिए ही होता है। संसार में सारे विवाद मर्यादा के उल्लंघन के कारण ही होते हैं। परमात्मा के साथ प्रकृति भी पूजनीय है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ के नतीजे हमें ही नहीं, आने वाली पीढियों को भी भोगना पड़ सकते हैं। यदि गंगा में स्नान से हमारे पापों का नाश होता है, तो उस गंगा को प्रदूषित करना भी पाप कर्म ही है। यदि हमने पवित्र नदियों को नालों बदल दिया तो हमारे पाप कहां धुलेंगे ?
वृंदावन के प्रख्यात भागवतचार्य मानस भूषण डॉ. मनोज मोहन शास्त्री ने आज इन्दौर अनाज तिलहन व्यापारी संघ द्वारा छावनी अनाज मंडी प्रांगण में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह एवं भगवान की विभिन्न लीलाओं की भावपूर्ण व्याख्या करते हुए उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कथा में आज भी वृंदावन से आए संगीतज्ञों और भजन गायकों का जादू देखने को मिला, जब पूरा पांडाल एक साथ झूम उठा। भजनों के दौरान डांडिया नृत्य भी आकर्षण के केन्द्र बने रहे। महिलाओं ने डांडिया रास के साथ गरबा भी खेला।
:: कैलाशजी ने सुनाया छोटी छोटी गैया… छोटे-छोटे ग्वाल… भजन ::
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी आज कथा में आकर डॉ. शास्त्री को मालवी पगड़ी पहनाकर उनका अभिनंदन किया। डॉ. शास्त्री ने भी विजयवर्गीय को पगड़ी पहनाई। कैलाश विजयवर्गीय ने छोटी छोटी गैया… छोटे-छोटे ग्वाल… भजन भी सुनाया। कथा में आज कृष्ण रुक्मणी विवाह का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। सैकड़ों भक्तों ने कृष्ण की बारात रुक्मणी की वरमाला के प्रसंगों का आनंद लिया। कथा स्थल को विशेष रूप से फूलों एवं गुब्बारों से सजाया गया था। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से सचिन अग्रवाल, कमलेश जैन, कमलेश खंडेलवाल, महेश अग्रवाल, दिनेश अग्रवाल, बंटी जिंदल, मनीष अग्रवाल, लवीश शाह, पंकज गोयल, हुकमचंद खंडेलवाल, सुधीर अग्रवाल, अशोक मित्तल, प्रतिभा मित्तल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। डॉ. शास्त्री की अगवानी शैलेन्द्र लाहोटी, लखन गोयल, गिरिराज गुप्ता, मनोज काला आदि ने की। इन्दौर अनाज तिलहन व्यापारी संघ के अध्यक्ष संजय अग्रवाल, वरुण मंगल, राधेश्याम चूरीवाला ने बताया कि भागवत ज्ञान यज्ञ का समापन शनिवार 14 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक सुदामा चरित्र प्रसंग की कथा के बाद होगा। 17 अक्टूबर को महालक्ष्मी महायज्ञ का दिव्य आयोजन भी होगा।
भागवताचार्य डॉ. शास्त्री ने कहा कि गौमाता, वेदपाठी विप्र, देवमंदिर और साधु, ये चारों भारतीय संस्कृति के केंद्र एवं आत्मा हैं। इन सबके मालिक स्वयं भगवान ही है। जिनके मालिक भगवान हों, वे बाजार में नहीं बिकते। हमारी परंपराएं बहुत महान रही हैं। देश विश्वगुरू रहा है। हम सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति में शामिल गंगा, तुलसी एवं सभी पवित्र नदियों की पूजा करते आ रहे हैं। प्रकृति भी परमात्मा की ही रचना है। जीवात्मा से परमात्मा का मिलन तभी संभव होगा, जब हमारे मन के अहंकार, दंभ, काम, क्रोध, अश्रद्धा जैसे विकार से हम पूरी तरह मुक्त हो जाएंगे। भागवत का श्रवण और मंथन पाप से मुक्ति का ही मार्ग है। भगवान अकारण किसी का भी अपमान नहीं करते, अकारण उद्धार जरूर करते हैं।