विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन से देश में फैली अराजकता
नई दिल्ली । भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में 7 जनवरी को संसदीय चुनाव होने हैं। प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन ने देश को हिलाकर रख दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त हबीबुल अवल ने बताया कि 12वां संसदीय चुनाव 7 जनवरी को 300 सीटों पर होगा। उन्होंने पार्टियों से राजनीतिक संकट को हल करने के लिए बातचीत करने का आग्रह किया। मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के शीर्ष नेता या तो जेल में हैं या निर्वासन में हैं। बीएनपी ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा नहीं देती हैं, और सामान्य की देखरेख के लिए एक गैर-पक्षपातपूर्ण कार्यवाहक सरकार को सत्ता हस्तांतरित नहीं करती हैं, तब वह चुनावों का बहिष्कार होगा। जब स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण की बात आती है, तब स्वतंत्र बांग्लादेश ने भी इसी तरह का पैटर्न अपनाया है।
1971 में पाकिस्तान से अलग होने के बाद बांग्लादेश ने 1972 में खुद का संविधान बनाया। इसके बाद संसदीय व्यवस्था लागू हुआ। सरकार के अनुसार इसकी नई इमारत 15 फरवरी 1982 में तैयार हुई और 200 एकड़ में बनी है। बांग्लादेश में संसद की 350 सीटों के लिए चुनाव कराया जाता है। बांग्लादेश की संसद में महिलाओं के लिए 50 सीटें आरक्षित हैं। संसद में सत्ताधारी दल के नेता प्रधानमंत्री बनते हैं और वे ही कार्यकारी प्रधान होते हैं। 2009 से ही बांग्लादेश की सत्ता में शेख हसीना की पार्टी बांग्लादेश आवामी लीग काबिज है।
हसीना ने पिछले 15 वर्षों से बांग्लादेश का नेतृत्व कर उन पर कठोरता से शासन करने का आरोप लगाया गया है। अगर विपक्ष का बहिष्कार जारी रहा तब उनका चौथी बार सत्ता में लौटना लगभग तय माना जा रहा है। हसीना की मुख्य प्रतिद्वंद्वी और दो बार की प्रधानमंत्री, बीएनपी नेता खालिदा जिया प्रभावी रूप से घर में नजरबंद हैं, जिसे उनकी पार्टी फर्जी भ्रष्टाचार के आरोप कहती है। बीएनपी ने 2014 के चुनावों का बहिष्कार किया, लेकिन 2018 में भाग लिया। मुस्लिम-बहुल देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और इस्लामी एंडोलन बांग्लादेश (आईएबी) पार्टी ने कहा कि वे चुनावों को अस्वीकार कर देगा। विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने सात जनवरी के आम चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए 48 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया। विपक्ष ने दावा किया कि इस चुनाव का उद्देश्य प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग सरकार को लगातार चौथे कार्यकाल के लिए सत्ता में लाना है। यह घोषणा मुख्य चुनाव आयुक्त काजी हबीबुल अवल के उस बयान के एक दिन बाद आई है।