:: प्राचीन अहिल्या माता गौशाला पर पांच हजार भक्तों ने गोवंश को परोसे छप्पन भोग ::
इन्दौर । भारतीय संस्कृति में गौ माता को देवी- देवताओं से भी ज्यादा वंदनीय और पूजनीय माना गया है। गाय सृष्टि का एकमात्र ऐसा जीव है, जिसमें 33 करोड़ देवताओं का निवास होता है। विडंबना है कि शहरीकरण के चलते गो पालन कम होता जा रहा है। याद रखें कि गौ माता बचेगी तो हमारी संस्कृति भी बची रहेगी। गाय की सेवा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने शुरू की थी। गौ पूजन से सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ये दिव्य विचार है बड़ौदा से आए श्रीमद् वल्लभाचार्य गोस्वामी द्वारकेशलाल महाराज के, जो उन्होंने केसरबाग रोड़ स्थित प्राचीन देवी अहिल्या माता गौशाला पर गोपाष्टमी के उपलक्ष्य में आयोजित उत्सव के दौरान आशीर्वचन देते हुए व्यक्त किए। युवा वैष्णवाचार्य गोस्वामी शरणम कुमार भी उपस्थित थे। उन्होंने गौशाला स्थित सप्त गौ माता मंदिर में सजी-धजी गायों का पूजन कर महोत्सव का शुभारंभ किया।
प्रारंभ में गौशाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रवि सेठी, मंत्री पुष्पेंद्र धनोतिया एवं संयोजक सी.के. अग्रवाल ने संतद्वय की गरिमापूर्ण अगवानी की। गोपाष्टमी पर आज आम भक्तों के लिए गोपूजन के साथ ही गौवंश के लिए अन्नकूट का भी विशेष आयोजन किया गया था । सुबह से अपरान्ह तक गोशाला पर पांच हजार से अधिक गौ भक्तों ने आकर गोपाष्टमी के महापर्व का पुण्य लाभ उठाया। अनेक श्रद्धालु अपने घरों में विराजित लड्डू गोपाल और घर में निर्मित व्यंजन भी गोशाला लेकर आए थे। सप्त गोमाता मंदिर में लड्डू गोपाल से गोमाता के मिलन एवं 56 भोग समर्पण का दृश्य देखने लायक था। आचार्य पं. मुकेश शास्त्री एवं उनके सहयोगी विद्वानों ने विधि-विधान से गोवंश की पूजा सम्पन्न कराई। पूजा, सेवा, 56 भोग का यह सिलसिला पूरे छह घंटो तक लगातार चला।
इस दौरान गो भक्तों के लिए आभा मंडल परीक्षण, गर्भ संस्कार, कांसा चिकित्सा पद्धति के साथ बच्चों के लिए मिट्टी से बर्तन बनाने की कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। गो भक्तों को इस मौके पर तक्रासव एवं आंवला का निशुल्क वितरण भी किया गया। इस अवसर पर समाजसेवी ओमप्रकाश पसारी, राजकुमार साबु, गोपाल नीमा, महेंद्र जैन, प्रमेंद्र सिंघल भी उपस्थित थे। गोवंश की आरती-पूजन के साथ महोत्सव का समापन हुआ।