भाजपा-कांग्रेस की बागियों ने बढ़ाई धडक़नें

डेढ़ दर्जन सीटों पर कहीं भाजपा, तो कहीं कांग्रेस मुश्किल में फंसी
भोपाल । मप्र में बंपर वोटिंग के बाद 230 विधानसभा सीटों पर कौन जीता-कौन हारा, भाजपा-कांग्रेस में से किसकी सरकार बन रही है, इसका रिजल्ट 3 दिसंबर को आ जाएगा। लेकिन फिलहाल तो प्रदेश की डेढ़ दर्जन सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवारों की बसपा, सपा, आप के साथ निर्दलीय (बागी) उम्मीदवारों ने धडक़नें बढ़ा रखी हैं। बागी कहीं भाजपा का, तो कहीं कांग्रेस का खेल बिगाड़ रहे हैं। राजनीतिक विज्ञानियों का कहना है कि ये बागी चुनाव मैदान में जीतने पर जिधर जाएंगे, उस दल का पलड़ा भारी होगा।
इस बार विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के साथ गठबंधन किया है। बसपा ने 181 और गोंगपा ने 37 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं। इसके साथ सपा, आप और जदयूू के उम्मीदवार भी मैदान में है। हम बता दें कि 2018 के चुनाव में भाजपा को 109 और कांग्रेस को 114 सीटों जीत हासिल हुई थी। जबकि बसपा को 6.42 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने प्रदेश दो सीटों पर जीत हासिल की थी।

इन सीटों पर बागी बढ़ा रहे टेंशन
नर्मदापुरम में मौजूदा विधायक एवं भाजपा उम्मीदवार सीताशरण शर्मा का मुकाबला अपने भाई कांग्रेस उम्मीदवार गिरिजाशंकर से है। यहां भाजपा से बागी भगवती चौरे के निर्दलीय मैदान में उतरने मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। सतना में सांसद एवं भाजपा उम्मीदवार गणेश सिंह और कांग्रेस के मौजूदा विधायक कांग्रेस उम्मीदवार सिद्धार्थ कुशवाह में मुकाबला है। यहां भाजपा के बागी एवं बसपा उम्मीदवार रत्नाकर चतुर्वेदी भाजपा के लिए टेंशन बन गए हैं। रत्नाकर दो बार भाजयुमो जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। बुरहानपुर में भाजपा ने पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस और कांग्रेस ने मौजूदा विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को मैदान में उतारा है। लेकिन यहां भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व. नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान के बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरने से चिटनीस की मुश्किलें में बढ़ गई हैं। सीधी में मौजूदा विधायक एवं भाजपा से बागी केदारनाथ शुक्ला के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने से सांसद एवं भाजपा उम्मीदवार रीति पाठक मुश्किल में हैं। यहां कांग्रेस ने ज्ञान सिंह को मैदान में उतारा है। मुरैना में भाजपा के रघुराज कंसाना और कांग्रेस के दिनेश गुर्जर मैदान में हैं। यहां भाजपा से बागी पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह के बसपा के टिकट पर से मैदान में आने से भाजपा-कांग्रेस दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भिंड में भाजपा से बागी संजीव कुशवाह के बसपा के टिकट पर मैदान में आने ने भाजपा के नरेंद्र सिंह कुशवाह और कांग्रेस के चौधरी राकेश चतुर्वेदी दोनों मुश्किल में हैं। सुमावली में भाजपा के ऐंदल सिंह कंसाना और कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाह की कांग्रेस से बागी होकर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कुलदीप सिंह ने नींद उड़ा रखी है। चाचौड़ा में भाजपा ने प्रियंका मीणा और कांग्रेस ने मौजूदा विधायक लक्ष्मण सिंह को मैदान में उतारा है। यहां भाजपा से बागी पूर्व विधायक ममता मीणा के आप के टिकट पर मैदान में उतरने से भाजपा टेंशन में है। महू में भाजपा ने मंत्री उषा ठाकुर और कांग्रेस ने रामकिशोर शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। यहां भाजपा के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार के निर्दलीय मैदान में आने से उषा ठाकुर टेंशन में हैं। नागौद में भाजपा ने नागेंद्र सिंह और कांग्रेस ने रश्मि पटेल को उम्मीदवार बनाया है। यहां कांग्रेस के बागी यादवेन्द्र सिंह के बसपा के टिकट पर मैदान में आने से कांग्रेस को खतरा हो गया है। इसी तरह देवतालाब सीट पर भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम और कांग्रेस ने पदमेश गौतम को मैदान में उतारा है। यहां सपा उम्मीदवार सीमा जयवीर सेंगर ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। सीमा 2018 में बसपा से चुनाव लड़ कर दूसरे नंबर पर रही थी।