अमृतसर । महाराजा रणजीत सिंह द्वारा निर्मित रामबाग गेट की ड्योढ़ी को यूनेस्को द्वारा पुरस्कार के लिए चुना गया है। बता दें कि यहां पर पुराने शहर के चारों ओर महाराज रणजीत सिंह ने दीवार बनवाई थी और 12 गेट अलग-अलग स्थानों पर बनाए गए थे। उस वक्त शहर की पूरी आबादी इस चहारदीवारी के अंदर ही रहती थी। महाराजा रंजीत सिंह के शासन काल में अमृतसर में बनाई गई रामबाग गेट की ड्योढ़ी को यूनेस्को ने विरासत संरक्षण पुरस्कार प्रदान किया है। यह राम बाग गेट महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया था। यह पुरस्कार गेट को विरासत संरक्षण के लिए प्रदान किया गया है। गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने इसके रखरखाव में करीब दो करोड़ रुपये की राशि भी खर्च की है। महाराजा रणजीत सिंह के शासन काल के दौरान बना यह एकमात्र बड़ा गेट है, जिसको अभी तक संभाल कर रखा गया है। इसे महाराजा रणजीत सिंह ने अपने समर पैलेस और श्री हरमंदिर साहिब जाने वाले रास्ते में बनवाया था।
बताया जाता है कि 1823 में बनाए गए इस गेट से ही महाराजा रणजीत सिंह पैदल श्री हरमंदिर साहिब माथा टेकने जाते थे। इतिहास में दर्ज है कि वर्ष 1892 में अंग्रेजों ने इस गेट को तुड़वा दिया था। अब इस गेट की ड्योढ़ी को पर्यटन विभाग ने संरक्षित किया है और पुराने डिजाइन और आकार में लाया। सरकार ने हृदय प्रोजेक्ट के तहत इस गेट का पुननिर्माण किया। पुराने शहर के चारों ओर महाराज रणजीत सिंह ने दीवार बनवाई थी और 12 गेट अलग-अलग स्थानों पर बनाए गए थे। उस वक्त शहर की पूरी आबादी इस चहारदीवारी के अंदर ही रहती थी। इस शहर के अंदर ही पूरा कारोबार भी चलता था। महाराजा रणजीत सिंह के निधन के बाद अंग्रेजों ने इन गेटों के पास पुलिस थानों की स्थापना की। यहां भी पुलिस थाना चलता रहा। जिसे हटाकर पर्यटन विभाग ने अपने सरंक्षण में ले लिया था।