घोड़ा रोज से परेशान किसान मारने की मांगी अनुमति

::मालवा में हजारों एकड़ की फसल बर्बाद कर रहे है घोड़ा रोज::
::किसानों ने सांवेर में निकाली रैली, तहसील कार्यालय पर किया प्रदर्शन:;
इन्दौर शहरी क्षेत्रों में जहां लगातार बढ़ रही कुत्तों की जनसंख्या के साथ बढ रहे उनके काटने और आम जनता पर हमले के मामलों ने शहर वासियों का जीना दुश्वार किया हुआ है वहीं ग्रामीण क्षैत्र में घोड़ा रोज की बढ़ती जनसंख्या से इनके झुंड के झुंड के रूप में खेतों में घुसकर फसलें बर्बाद कर देने से किसान परेशान हैं। दोनों को ही मारना सरकार ने प्रतिबंधित किया हुआ है, इसके खिलाफ पशुक्रूरता अधिनियम में कार्रवाई हो जाती है। कुत्तों के आतंक से तों बेबस शहरवासियों ने अब बोलना ही छोड़ दिया है परन्तु घोड़ा रोज से परेशान मध्यप्रदेश में मालवा क्षेत्र के किसानों का कहना है कि घोड़ा रोज़ का बढ़ता प्रकोप उनकी फसलों के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो रहा है। रोजाना कई एकड़ फसल घोडारोज रौंदकर बर्बाद कर रहा है । किसानों की इस समस्या को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा मैदान में उतर गया है । पहले 24 जनवरी को देपालपुर तहसील में किसानों के बड़े प्रदर्शन और एसडीएम कार्यालय के घेराव के बाद अब किसानों ने सांवेर के तहसील कार्यालय का घेराव कर जंगी ,प्रदर्शन किया और ज्ञापन देकर घोडारोज की समस्या से किसानों को मुक्ति दिलाने की मांग की ।
प्रदर्शन से पूर्व किसान सांवेर कृषि उपज मंडी में इकट्ठा हुए थे तथा यहां से जुलूस बनाकर एसडीएम कार्यालय पहुंचे ।करीब दो किलोमीटर लंबे मार्ग पर किसान हाथों में तख्ती लिए घोड़ा रोज़ से मुक्ति दिलाने की मांग करते हुए नारेबाजी करते रहे । करीब 1 घंटे तक एसडीएम कार्यालय पर भी प्रदर्शन किया प्रदर्शन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री, बबलू जाधव, चंदन सिंह बड़वाया ,शैलेंद्र पटेल, सोहन यादव,लाखन सिंह डाबी आदि ने किया । प्रदर्शन में सांवेर तहसील के 50 से ज्यादा गांव से करीब 400 से ज्यादा किसान एसडीएम कार्यालय पहुंचे। ज्ञापन का वाचन शैलेंद्र पटेल ने तथा आभार चंदन सिंह बडवाया ने माना ।
किसान सभा को संबोधित करते हुए विभिन्न किसान नेताओं ने कहा कि मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में घोडारोज किसान के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गए हैं. मध्यप्रदेश में मालवा क्षेत्र के किसान घोडारोज से बेहद परेशान हैं. किसानों का कहना है कि नीलगाय का बढ़ता प्रकोप उनकी फसलों के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो रहा है. रोजाना कई एकड़ फसल रोजडा रौंदकर बर्बाद कर रही है। अगर इस समस्या का समाधान जल्दी ही नहीं किया गया तो इस क्षेत्र का किसान आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन कर सकता है।
वक्ताओं ने कहा कि ये वन्य पशु झुंड में चलते हैं सैकड़ों की तादाद में घोड़ा रोज़ आकर कई एकड़ खेत बर्बाद करके चली जाती हैं इनकी खेत में लगी सब्जी और गेहूं की फसल को घोड़ा रोज़ ने उनकी आंखों के‌ सामने बर्बाद कर दिया। किसानों का कहना है कि घोड़ा रोज़ खाती कम है लेकिन इसके दौड़ने से फसल का नुकसान ज्यादा होता है। कई किसानों ने बाड़ लगाकर इन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन ये 6 फीट तक फांद जाती है इसीलिए उसका कोई फायदा नहीं हुआ। वहीं कुछ किसानों ने बाड़ में करंट लगाकर भी इन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उसकी चपेट में आकर पालतू गाय, भैंस और बकरी की मौत हो गई इसलिए यह तरीका भी कारगर नहीं है।
किसानों का कहना है कि घोडारोज को मारने की अनुमति दी जानी चाहिए या फिर इसे जंगल के अंदर रखने का कोई प्रबंध होना चाहिए। साल 2000 से शिकार पर पाबंदी है। हालांकि वन विभाग ने घोड़ा रोज़ और जंगली सूअर को मारने की अनुमति देने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव बनाकर भेजा है। इसमें वन विभाग की ओर से नियमों का सरलीकरण करने के लिए कहा गया है। जिसके तहत किसानों को घोड़ा रोज़ और जंगली सूअर मारने के लिए लाइसेंस दिया जा सकेगा।
किसानों का कहना है कि क्षेत्र ‌के हजारों किसान इस समस्या से पीड़ित हैं और इसे लेकर एक बड़े आंदोलन की तैयारी है।