मुंबई । महाराष्ट्र के कदावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार की पार्टी एनसीपी में बीते साल जुलाई में बगावत हो गई थी। महाराष्ट्र की राजनीति में भीष्म पितामह कहे जाने वाले पवार को भतीजे ने ही दागा दिया। भतीजे की बगावत के पहले से ही चर्चे थे, लेकिन शरद पवार को बड़ा झटका दिलीप वलसे पाटिल के तौर पर लगा था। 7 बार के विधायक दिलीप पाटिल ने पवार की उम्मीदों को झटका देकर उनका साथ छोड़ दिया था। उनके बारे में कोई चर्चा तक नहीं थी कि वह भी अजित पवार के साथ जा सकते हैं। फिलहाल वह महाराष्ट्र सरकार में वह सहकारिता मंत्री बने हुए हैं।
अब उनके खिलाफ शरद पवार खुद बिगुल फूंकने वाले हैं। इसके तहत शरद 21 फरवरी को पाटिल के विधानसभा क्षेत्र आम्बेगांव जाने वाले हैं। पवार आम्बेगांव के मंचर में एक बड़ी रैली करने वाले हैं। बड़ी बात यह है कि इस रैली की तैयारी का जिम्मा शरद पवार ने सांसद अमोल कोल्हे को दिया है। एनसीपी में विभाजन के बाद यह पहला मौका होगा, जब पवार आम्बेगांव में रैली के लिए पहुंच रहे हैं। पवार के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे पाटिल के भी साथ छोड़ने से बहुत आहत थे और उन्होंने ऐसा होने के बारे में सोचा भी नहीं था।
फिलहाल इस बात पर नजर है कि रैली में पवार पाटिल को लेकर क्या कहने वाले हैं। कभी पाटिल को शरद पवार के सबसे भरोसेमंद लोगों में से एक माना जाता था। माना जा रहा है कि इस रैली के साथ ही शरद पवार महाराष्ट्र में अपने चुनाव अभियान की भी शुरुआत कर सकते हैं।
गौरतलब है कि यहां से अजित पवार लोकसभा चुनाव के टिकट के लिए भी भाजपा से दावेदारी ठोक रहे हैं। भाजपा नेतृत्व को उन्होंने इसका प्रस्ताव रख दिया है। इसके अलावा बारामती सीट पर भी अजित पवार की नजर है।
बारामती वहीं सीट है, जहां से सुप्रिया सुले सांसद हैं। यह सीट लंबे समय से एनसीपी के पास है, लेकिन अजित गुट या फिर भाजपा के किसी उम्मीदवार से मुकाबला हुआ तब इस बार चैलेंज होगा। इसकी वजह यह है कि बारामती में अजित पवार की पकड़ रही है और वह भाजपा के साथ आ चुके हैं। फिर सुप्रिया सुले के लिए जीतना आसान नहीं होगा।