तुलसी नगर सरस्वती मंदिर में हुआ सरस्वती महायज्ञ का आयोजन ; हज़ारों श्रद्धालुओं, स्कूली छात्र, छात्राओं ने किए माँ वीणावादिनी के दर्शन

:: छोटे बच्चों को विद्यारम्भ कराया गया ::
इन्दौर । बसंत पंचमी पर बुधवार को तुलसी नगर स्थित सरस्वती मंदिर में विद्या एवं ज्ञान की अराध्य देवी माँ सरस्वती की पूजा एवं अर्चना पूर्ण धार्मिक निष्ठा एवं वैदिक पद्धति से विद्वान् पंडितों की अगुवाई में शुभ मुहूर्त में संपन्न हुई। पूजा से पूर्व माँ सरस्वती का पंचामृत अभिषेक, पूजा एवं आरती किया गया। तत्पश्चात सरस्वती महायज्ञ का आयोजन हुआ जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पंडित प्रेमनारायण पंचोली दुर्गा सप्तशती के मंत्रोच्चारों के बीच परिवार समाज, शहर एवं देशवासियों के कल्याणार्थ आहुतियाँ दी। यज्ञ के पश्चात महाआरती का आयोजन हुआ जिसमें बड़ी संख्या में शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आए भक्तगण उपस्थित थे। इस अवसर पर छोटे छोटे बच्चों को उनके अभिभावकों की उपस्थिति में विद्यारम्भ भी करवाया गया। शाम को माँ शारदे को छपनभोग चढ़ाया गया।
तुलसी सरस्वती सोशल वेलफेयर सोसाइटी के पदाध‍िकारी केके झा, राजेश तोमर, संजय यादव, भगवान झा एवं विवेक शर्मा ने कहा कि गुप्त नवरात्रि होने के कारण इस वर्ष बसंत पंचमी पर तुलसी नगर स्थित सरस्वती मंदिर पर शहरवासियों के कल्याणार्थ विशेष पूजा एवं अनुष्ठान किया गया। बुधवार प्रातःकाल से ही तुलसी नगर स्थित सरस्वती मंदिर में भक्तों की लम्बी कतारें लगी रही। मंदिर में शहर के दूरस्थ क्षेत्रों से माँ सरस्वती के दर्शन हेतु लोगों का आना जारी रहा। संध्या 7 बजे तक 50000 से अधिक श्रद्धालुओं ने माँ शारदे का दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया और यह क्रम रात्रि साढ़े ग्यारह बजे तक चलता रहा।
:: छोटे बच्चों को विद्यारम्भ कराया गया ::
आज शहर के स्कूलों में अवकाश नहीं होने के बावजूद शहर के विभिन्न विद्यालयों के सैकड़ों छात्र छात्राओं ने अपने विद्यालयों के शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ कतारबद्ध होकर माँ सरस्वती का दर्शन कर उनका आशिर्वाद प्राप्त किया। कतिपय छोटे-छोटे बच्चों का अभिभावकों द्वारा सिलेट, चॉक, पेंसिल एवं कलम-दवात के माध्यम से माँ सरस्वती के समक्ष विद्यारम्भ कराया गया।
संध्या में भजन संध्या एवं महा प्रसादी का आयोजन हुआ, जिसमें हज़ारों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने माँ सरस्वती का प्रसाद ग्रहण किया। बसंत पंचमी पर सम्पूर्ण सरस्वती मंदिर परिसर की भव्य आकर्षक एवं नयनाभिराम पुष्प एवं विद्युत सज्जा की गई तथा मंदिर के गर्भगृह को भूल बांग्ला के रूप में सजाया गया था।