विवाह भारतीय संस्कृति का सबसे सुंदर संस्कार, परिवार में समर्पण से पति-पत्नी के रिश्ते में माधुर्य : सुश्री कनुप्रिया

:: वेंकटेश नगर में उत्सव की त्रिवेणी : स्वर्णाकर्षण भैरव यज्ञ का हुआ समापन – लक्ष्मी नारायण महायज्ञ और श्रीमद् भागवत कथा का समापन गुरूवार को ::
इन्दौर । भारतीय संस्कृति में पारिवारिक व्यवस्था की सबसे सुंदर कला विवाह है पति-पत्नी के रिश्ते में समर्पण भाव आ जाए तो प्रेम और उल्लास छा जाता है आवश्यकता है एक दूसरे को समझने की। ऐसा करने से पारिवारिक कलह तो दूर होगा ही जीवन स्वर्ग समान बन जाएगा।
यह विचार वेंकटेश नगर स्थित हनुमान मंदिर में 12 वर्षीय सुश्री कनुप्रिया (वंशिका) के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यक्त किए गए। विश्व ब्राह्मण समाज संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. योगेंद्र महंत व विश्व ब्राह्मण समाज संघ के जिला अध्यक्ष मनोज शर्मा ने बताया कि महामंडलेश्वर कलिकानंद महाराज के सानिध्य में उत्सव की त्रिवेणी अपने अंतिम दौर में आ पहुंची हैं। बुधवार रात्रि में स्वर्णाकर्षण भैरव यज्ञ में अंतिम आहुतियां प्रदान की गई इसी के साथ इस यज्ञ का समापन हुआ। गुरुवार को श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ और श्रीमद् भागवत कथा का समापन होगा 17 फरवरी को महाप्रसादी का आयोजन किया गया है। हनुमान मंदिर परिसर में हो रहे इस उत्सव के त्रिवेणी आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और यज्ञ स्थल की परिक्रमा कर रहे हैं बुधवार को श्रीमद् भागवत कथा के दौरान सुश्री कनुप्रिया ने राधा कृष्ण विवाह, कृष्ण और रुक्मणी विवाह, राधा कृष्ण का महाराज कंस वध, संदीपनी ऋषि के आश्रम में 64 दिन में भगवान की 64 कलाओं को सीखने का वर्णन, उद्धव और गोपी संवाद, भगवान श्री कृष्ण का द्वारका आगमन आदि प्रसंगों को सुनाया गया।
:: संगीत में भजनों से मुग्ध हुए श्रद्धालु ::
व्यास पीठ से 12 वर्षीय सुश्री वंशिका ने मेरी बंसी बजाए… एक दिन वह भोले भंडारी….., यह तो प्रेम की बात है उधो… आओ मुझे मेहंदी लगाओ…. आदि भजनों की सुमधुर प्रस्तुति ने भक्तों को भाव विभोर कर उल्लास का रंग घोल दिया।