इन्दौर । नगर निगम इन्दौर में नवनिर्मित परिषद् सभागृह अटल सदन के नामकरण पर खड़े हुए विवाद का पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने पटाक्षेप कर दिया। निगम परिषद् सम्मेलन में अपने अभिभाषण/मार्गदर्शन के दौरान सुमित्रा ताई ने कहा कि महापौरजी ने उद्घाटन के पहले कहा था ताई आपके नाम का प्रस्ताव है, हम उद्धाटन करने जा रहे है। मैंने उनको बोला – अभी मैं जिंदा हूँ.. हो सकता है अभी बहुत से काम मुझसे अच्छे होना हो… ऐसा काम मत करो… मेरे जाने के बाद मेरे काम याद करो तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। क्योंकि अच्छे काम किये है।
विपक्ष ने ताई को निगम परिषद् के सभाकक्ष के उद्घाटन कार्यक्रम में न बुलाने पर इसे महिलाओं का अपना बताया था। नेता प्रतिपक्ष ने कहा था कि सत्तारूढ दल अपनी ही नेत्री को भूल गया, जिन्होंने आठ बार लोकसभा में इन्दौर का प्रतिनिधित्व किया और जो लोकसभा अध्यक्ष जैसे गरिमामय पद पर पहुंची। कांग्रेस के इस नामकरण के हंगामे पर गुरूवार को अटल सदन में निगम परिषद् सम्मेलन में बोलते हुए पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा ताई ने यह स्पष्ट किया कि आज भी वे सामाजिक व साहित्यिक रूप से सक्रिय काम कर रही है। उद्घाटन वाले दिन उन्हें महाराष्ट्र में हिंदी साहित्य समिति के एक कार्यक्रम में शमिल होना था। इसलिए कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकी।
:: अटलजी का नाम ताई ने ही सुझाया ::
ताई ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उन्होने ही सभागृह का नाम अटलजी के नाम पर करने का सुझाव दिया था। ताई ने महापौरजी से कहा था कि सबसे बात करके निगम परिषद् के सभागृह का नाम तय करें; लेकिन उन्हे ऐसा लगता है इस परिषद् हॉल का नाम अटलजी के नाम पर होना चाहिऐ। क्योंकि नेहरूजी ने भी अटलजी के व्यवहार, भाषण व व्यक्तित्व से उनकी प्रतिभा को पहचान लिया था और कहा था यह बच्चा एक दिन नेतृत्व करेगा। ताई ने अटलजी के नाम से परिषद् हॉल में बैठने वाले जनप्रतिनिधियों को अटलजी के व्यक्तित्व, उनके व्यवहार, उनके भाषण के शब्दों से प्रेरणा लेने की अपेक्षा की।
:: अब निगम को आत्मनिर्भर बनना होगा ::
सुमित्रा महाजन ने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है आपने मुझे मार्गदर्शन के लिए याद किया। आप नए सदन में है, ऐसा आभास होता है कि आप विधानसभा या मिनी लोकसभा में बैठे है। यह सदन जिम्मेदारी का स्थान है। मान. अटलजी के नाम से यह सदन है। आप यहां बोलेंगे, अपनी बात रखेंगे। लोगों की समस्या के लिए यहां चर्चा होगी। यह अब पहले वाली नगर निगम नहीं रहीं, जिसको नाली-गटर से जाना जाता था। पार्षद का काम क्या था, नाली-गटर की सफाई, ज्यादा से ज्यादा थोड़ी बहुत सड़क बनाओ… अब यह सब बदल गया है, कानून भी बदल रहा है। अब आप महानगर परिषद् के सदस्य है, इसका दायरा भी बढ़ गया है। अब आपको देखना है बाजार भी व्यवस्थित चले, आपको यह भी देखना है बिल्डिंग परमिशन ठीक से हो, बसाहट भी ठीक से हो… रेवेन्यू संग्रहण करना है… सरकार कुछ हमें दे, फिर हम कुछ करें, ऐसा नहीं होना चाहिए। अब आपको आत्मनिर्भर बनना होगा।
:: निगम को अपना छिद्रान्वेषण करना होगा ::
सुमित्रा महाजन ने कहा कि आप व्यक्ति के बातों और उसके व्यवहार का छिद्रान्वेषण (दोष ढूंढना/नुक्स निकालना) करते हो। सम्पत्तिकर के मामले में जीआईएस सर्वे में कई गरबड़ियॉं संज्ञान में आ रही होगी, लोग भवन निर्माण के मुकाबले टैक्स कम भर रहे है। ऐसे छिद्र निगम में भी नज़र आयेंगे। इसलिए छिद्रान्वेषण आपको भी करना होगा, कि कहां गलतियॉं हो रही है। ज्यादा निर्माण किया, तो क्यों गलती हो रही है, किस अधिकारी का प्रश्रय है। अधिकारी को प्रेम में समझाए, कि ऐसा न हो, ताकि निगम की झोली पूरे टैक्स से भरी रहे। उन्होने पार्षदों को कहा कि उन्हे विषय की भी समझ होना चाहिए। इसलिए पढ़े और अध्ययन करें। अपनी बात दूसरों को कैसे समझाना है, इसमें आप माहिर हो जायेंगे। जैसे छिद्रान्वेषण शब्द के चयन के जरिए उन्होने भवन अनुज्ञा शाखा में हो रही अनदेखी को जाहिर किया। शब्दों के चयन से इसे घपला या भ्रष्टाचार भी कहा जा सकता था? निगम परिषद् में ताई ने अपने भाषण में पानी के उपयोग व अपव्यय को लेकर भी गंभीर बातें कहीं।