टिकट कटा तो याद आया क्लिनिक

हर्षवर्धन ने कहा, कृष्णानगर क्लिनिक मेरा कर रहा इंतजार
नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए यहां अपने कैंडिडेट लिस्ट को जारी ही किया था कि अब एक ओर जहां उनके नेता चुनाव नहीं लड़ने की बात कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ जिन्हें टिकट नहीं मिला वो न सिर्फ पार्टी छोड़ने बल्कि राजनीति से ही दूरी बनाने की बात कहते दिख रहे हैं। यह सिलसिला तब शुरु हुआ जब गौतम गंभीर और जयंत सिन्हा ने सूची जारी होने से पहले ही खुद को सक्रिय राजनीति से अलग करने का बयान दे दिया था। अब जबकि सूची जारी हो चुकी है तो डॉ. हर्षवर्धन ने खुद को सक्रिय राजनीति से अलग करने का ऐलान कर दिया है। यहां बतलाते चलें कि बीजेपी ने जो टिकटों की घोषणा की है उनमें डॉ. हर्षवर्धन का टिकट कट चुका है और ऐसे में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट लिखी और खुद को राजनीति से दूर करते हुए कृष्णानगर क्लिनिक में जाने का ऐलान कर दिया है।
गौरतलब है कि हर्षवर्धन चांदनी चौक लोकसभा सीट से वर्तमान में सांसद हैं, और इस बार पार्टी ने उन्हें चुनाव मैदान में उतारना मुनासिब नहीं समझा है। लोकसभा चुनाव 2024 के आम चुनाव के लिए बीजेपी ने उनकी जगह प्रवीण खंडेलवाल को चांदनी चौक से टिकट दे दिया है। इससे दु:खी हर्षवर्धन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, कि तीस साल से अधिक के शानदार राजनीतिक कैरियर में मैंने सभी पांच विधानसभा और दो संसदीय चुनाव लड़े, जो मैंने बड़े अंतर से जीते और पार्टी संगठन व राज्य और केंद्र की सरकारों में कई प्रतिष्ठित पदों पर काम किया है। अब मैं अपनी जड़ों की तरफ वापसी के लिए अनुमति चाहता हूं। इस पोस्ट में उन्होंने अपने माझी को याद किया और तमाम उपलब्धियां भी गिना दी हैं। उन्होंने लिखा कि 50 साल पहले जब मैंने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की इच्छा के साथ जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में एमबीबीएस में प्रवेश लिया तो मानव जाति की सेवा ही मेरा आदर्श वाक्य था। हृदय से मैं एक स्वयंसेवक बनकर, हमेशा कतार के अंतिम व्यक्ति की सेवा करने की कोशिश करता रहा हूं। इस तरह दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय दर्शन को मैं मानने वाला रहा हूं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वो आरएसएस के कहने पर राजनीति में सक्रिय हुए थे, दरअसल वो लिखते हैं कि तत्कालीन आरएसएस नेतृत्व के आग्रह पर मैं चुनावी मैदान में आया। वे मुझे महज इसलिए मना सके क्योंकि मेरे लिए तो राजनीति का मतलब, हमारे तीन मुख्य शत्रुओं – गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ने का बेहतर अवसर था। उन्होंने कोविड काल की सेवा का भी जिक्र किया है।