इसरो का फूलप्रूफ प्लान, कहा होगी मॉड्यूल की वापसी बस तय

गगनयान मिशन को लेकर इतिहास बनने को तैयार
नई दिल्ली । इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 2025 में गगनयान मिशन के तहत चार एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजकर नया कीर्तिमान बनने वाला है। इसकारण अभी इस मिशन के लिए चुने गए चारों अंतरिक्ष यात्री उड़ान अभ्यास और योग के अलावा सिमुलेटर, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में रहने के अभ्यास सहित कड़े प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं। इस बीच इसरो ने गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों और मॉड्यूल की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने लिए एक दो नहीं, बल्कि पूरे 48 बैकअप साइटों की पहचान की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इसरो का प्लान है कि गगनयान मिशन के मॉड्यूल की संभावित वापसी अरब सागर में हो, जहां भारतीय एजेंसियों को चालक दल और मॉड्यूल की सुरक्षित लैंडिंग के लिए रखा जाएगा। हालांकि, अगर प्लान के अनुसार चीजें नहीं होती हैं, और अंतरिक्ष यात्रियों की सफल लैंडिंग में बदलाव की जरूरत पड़ती है, तब इसके लिए भी इसरो की टीम तैयार है। इसके लिए इसरो ने अंतरराष्ट्रीय जल में 48 बैकअप स्थानों की पहचान की है, जहां गगनयान मिशन के यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग हो सके। इसरो के सीनियर अधिकारी ने कहा कि गगनयान मिशन के मामले में अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तब मॉड्यूल की लैंडिंग भारतीय जल में ही होगी। बता दें कि गगनयान मॉड्यूल की लैंडिंग के साथ ही चारों अंतरिक्ष यात्री वापस धरती पर आ जाएंगे।
हालांकि इसरो अधिकारी ने कहा, चूंकि गगनयान मिशन में मानव अंतरिक्ष उड़ान शामिल है, इसकारण जब चालक दल की सुरक्षा की बात होती है, तब कोई जोखिम नहीं ले सकते है। इसलिए इसरो ने संभावित बिंदुओं को चिह्नित किया है, जहां कैप्सूल यानी कि अंतरिक्षयात्री वाला मॉड्यूल उतर सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि मिशन में जरा भी बदलाव मॉड्यूल की लैंडिंग को सैकड़ों किलोमीटर दूर कर सकता है।
बता दें कि इसरो द्वारा 2025 में गगनयान मिशन के तहत पृथ्वी की कक्षा में भेजने के लिए चुने गए अंतरिक्ष यात्री उड़ान अभ्यास और योग के अलावा सिमुलेटर, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में रहने के अभ्यास सहित कड़े प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं। इसरो का संबंधित प्रशिक्षण प्रतिष्ठान भारतीय वायुसेना के पायलटों-ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला के लिए ऐसी गतिविधियों का केंद्र है। इसरो के अधिकारी ने कहा, उन्हें एयरो-मेडिकल, स्थिति से निपटने और विपरीत परिस्थितियों में जीवित रहने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।