जल संकट की ओर इशारा करतीं नदियां

-देश की 13 नदियों में पानी तेजी से घट रहा, केंद्रीय जल आयोग का विश्लेषण
नई दिल्ली । देश में किसी जल संकट की ओर इशारा करती नदियां अब सूखने लगी हैं। एक सर्वे में बताया गया है कि देश की 13 नदियों में पानी तेजी से घट रहा है। यह किसी भविष्य के संकट की भविष्यवाणी से कम नहीं है। दरअसल गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, पेन्नार, नर्मदा, तापी, साबरमती, गोदावरी, महानदी, कावेरी समेत देश की 13 नदियों में पनी तेजी से घट रहा है। पिछले साल की तुलना में इन नदियों में कम पानी बचा है। चिंता तो गंगा की है। जो 11 राज्यों के 2.86 लाख गांवों को सिंचाई और पीने के लिए पानी देती है।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्युसी) के विश्लेषण से यह पता चला है। भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में पानी जमा करने की उनकी कुल क्षमता से 36 फीसदी कम पानी है। 86 जलाशयों में पानी 40 फीसदी या उससे कम पानी है। 28 मार्च के सीडब्ल्युसी के बुलेटिन के अनुसार ज्यादातर जलाशय दक्षिणी राज्यों, महाराष्ट्र और गुजरात में हैं।
बारिश भी हो रही कम
मौसम विभाग के अनुसार आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एक मार्च 2024 से बारिश में काफी कमी महसूस की गई है। आंध्र में 65 और तेलंगाना में 67 फीसदी की कमी है। हमारी नदियां सिंचाई, पीने के लिए पानी देती हैं। ट्रांसपोर्ट और बिजली उत्पादन में भी मदद करती हैं। इनसे सामाजिक-आर्थिक विकास होता है।
नदियों के बेसिन का लाइव डेटा
सीडब्ल्युसी के पास 20 नदियों के बेसिन का लाइव डेटा रहता है। अधिकांश बेसिनों मे 40 फीसदी से स्टोरेज क्षमता रिकॉर्ड की गई। 12 नदियों के बेसिन में पानी का स्टोरेज पिछले साल की तुलना में कम है। कावेरी, पेन्नार और कन्याकुमारी के बीच पूर्व की ओर बहने वाली नदियों में स्टोरेज बहुत कम है।
गंगा भी चेता रही
देश का सबसे बड़ा नदी बेसिन गंगा का है। यहां पर फिलहाल कुल क्षमता से आधे से भी कम स्टोरेज है। यानी 41.2 फीसदी पानी ही मौजूद है इस बेसिन में। यह पिछले साल इसी अवधि की तुलना में कम है। गंगा नदी 11 राज्यों में करीब 2.86 लाख गांवों को सिंचाई और पीने के पानी देती है। अब यह मात्रा घटती जा रही है। गंगा बेसिन से पानी का कम होना खेती-बाड़ी को प्रभावित करेगा। क्योंकि इस बेसिन का 65.57 फीसदी इलाका कृषि भूमि है। नर्मदा में 46.2 फीसदी, तापी में 56 फीसदी, गोदावरी में 34.76 फीसदी, महानदी में 49.53 फीसदी और साबरमती में 39.54 फीसदी पानी की कमी है।
इन नदियों में पानी बचा ही नहीं
महानदी और पेन्नार के बीच पूर्व की ओर बहने वाली 13 नदियों में इस समय पानी वचा ही नहीं है। ये हैं रुशिकुल्या, वराह, बाहुदा, वंशधारा, नागावली, सारदा, तांडव, एलुरु, गुंडलकम्मा, तम्मिलेरु, मुसी, पलेरु और मुनेरु। ये नदियां आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा से होते हुए बहती हैं। गर्मी से पहले इनकी ये हालत चिंताजनक है। इन नदियों से 86 हजार 643 वर्ग किलोमीटर का इलाका सिंचित होता है। फिर ये नदियां बंगाल की खाड़ी में गिर जाती हैं। इनके बेसिन में 60 फीसदी हिस्सा कृषि क्षेत्र है। यानी इस बार पानी की कमी का असर फसलों पर पड़ेगा। आईआईटी गांधीनगर द्वारा संचालित भारत सूखा मॉनिटर यह बताता है कि नदी बेसिन की सीमाओं के भीतर कई क्षेत्र असाधारण सूखे से गुजर रहे हैं। देश में 35.2 फीसदी क्षेत्र फिलहाल असामान्य से असाधारण सूखे की कैटेगरी में हैं। चिंताजनक यह है कि इसमें से 7.8 फीसदी इलाका अत्यधिक सूखे में है। 3.8 फीसदी असाधारण सूखे में है।