अब तक बन चुकी है 20 हज़ार फर्जी आईडी
स्टेट साइबर सेल ने बिहार से किया गिरफ्तार
भोपाल | स्टेट साइबर पुलिस ने बड़ा खुलासा करते हुए बिहार से एक ऐसे शातिर आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिसने फर्जी वोटर कार्ड तैयार करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फर्जी वेबसाइट तैयार की थी। इस फ़र्ज़ी वेबसाइट की मदद से अब तक लगभग 20 हजार फर्जी वोटर आईडी और आधार कार्ड बनाये गए है, जिनका प्रयोग मध्य प्रदेश के लोग भी कर रहे हैं। पूरे मामले का खुलासा करते हुए एमपी स्टेट साइबर के एडीजी योगेश देशमुख ने बताया कि दो सप्ताह पहले करीब 27 मार्च को भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों सूचना दी थी, कि अज्ञात युवक एक वेबसाइट के माध्यम से लोगों के फर्जी वोटर आईडी बनाने का काम कर रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने इसकी जानकारी स्टेट साइबर में दी। मामले की गंभीरता को देखते हुए पांच अलग-अलग टीमों ने इसकी छानबीन शुरू की। राज्य साइबर पुलिस टीमो ने टेक्निकल जांच के आधार पर आरोपी की पहचान जुटाते हुए आरोपी रंजन चौबे पुत्र अशोक चौबे (20) को चंपारण बिहार से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के पास से फर्जी खातों की पासबुक, एटीएम कार्ड, पेटीएम क्यूआर कोड, सोर्स कोड, आदि जब्त किये गए हैं। अफसरो के मुताबिक आरोपी रंजन द्वारा फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों के अवैध वोटर कार्ड तैयार करने का ऑनलाइन प्लैटफार्म बनाया था। उसकी वैबसाइट की मदद से कोई भी व्यक्ति किसी की भी आईडी पर अपना फोटो लगाकर फर्जी तस्तावेज तैयार कर सकता है। पुलिस की अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपी की वेबसाइट का इस्तेमाल कर प्रदेश में करीब 20 हजार फर्जी आईडी बनाई जा चुकी हैं। इस फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड रंजन महज 10 वीं कक्षा तक पढ़ा है। इतना ही नही उसकी बनाई फर्जी आईडी से सैंकड़ों बैंक खाते फर्जी तरीके से खुलवाने की जानकारी भी पुलिस को मिली है। फर्जी ढंग से खोले गए इन सभी बैंक अकाउंट को पुलिस चिन्हित कर फ्रीज कराने का काम करेगी। अधिकारियों के मुताबिक आरोपी की बनाई फर्जी वेबसाइट के ज़रिये कोई भी व्यक्ति किसी भी अन्य व्यक्ति का फोटो, नाम, पता, हस्ताक्षर एवं अन्य जानकारी उपयोग कर फर्जी वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड प्राप्त कर सकता था। इसके लिए लोगों को क्यूआर कोड के जरिए केवल 20 रुपये का पेमेंट करना होता था। पैमेंट होते ही आईडी ऑन लाइन ही प्राप्त होती थी। फिर इस फर्जी आईडी का मूल आईडी के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। पूछताछ के बाद पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है। वही उससे मिली जानकारी के आधार पर आगे की कार्यवाही की जा रही है।