हम साथ काम नहीं करेंगे, तो लोकतंत्र मुश्किल में आ जाएगा, नीतीश अवसरवादी

दिग्गज नेता शरद पवार का लोकसभा चुनावों के बीच आया बड़ा बयान
मुंबई । महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार लोकसभा चुनावों के बीच एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद भी इंडिया गठबंधन को एक साथ रहना होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम साथ काम नहीं करेंगे, तो लोकतंत्र मुश्किल में आ जाएगा। शरद पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) महाराष्ट्र की 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इस दौरान उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के प्रमुख नीतीश कुमार को अवसरवादी बताया। पवार ने यह बात एक अखबार को साक्षात्कार देते हुए कही।
शरद पवार से जब इंडिया गठबंधन को लेकर पूछा गया तो उन्होंने सभी विपक्षियों को एक साथ रहने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है, लेकिन यह हकीकत है कि नीतीश कुमार अवसरवादी हैं। उन्होंने इंडिया गठबंधन को लेकर कहा हम हो सकता है कि चुनाव के दौरान साथ काम नहीं कर रहे हों, जैसे ममता बनर्जी, लेकिन आम धारणा है कि चुनाव के बाद हमें साथ रहना होगा। उन्होंने कहा कि चुनाव में हमारा बहुमत हो या न हो, हमें साथ काम करना ही होगा। अगर हम साथ काम नहीं करेंगे, तो हमारे देश का संसदीय लोकतंत्र मुश्किल में पड़ जाएगा।
बारामती सीट जो पवार परिवार का गढ़ है। यहां से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले मौजूदा सांसद हैं। बारामती सीट के चुनाव को लेकर शरद पवार ने कहा कि मेरा मानना है कि केंद्र सरकार सुप्रिया सुले को हराने में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। सभी एजेंसियां सक्रिय हैं और काफी धनबल का भी इस्तेमाल होता नजर आ रहा है। देखना होगा कि क्या होता है। खास बात है कि महायुति ने बारामती सीट से अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को मैदान में उतारा है। इस सीट पर देशभर की नजर है क्योंकि यहां पवार वर्सेस पवार की लड़ाई है।
शरद पवार ने भतीजे अजित पवार के साथ जाने पर कहा कि जब तक वह नरेंद्र मोदी की बीजेपी में हैं, तब तक उनके साथ कोई मेल-मिलाप नहीं किया जाएगा। जब पवार से पूछा गया कि क्या इसकी वजह यह है कि बीजेपी ने दो मजबूत क्षेत्रीय दलों को तोड़ने में सफलता हासिल की है? इसपर शरद पवार ने कहा कि मैं स्वीकर करता हूं कि वे दो दलों को तोड़ने में सफल रहे हैं और वे ऐसा इसलिए कर सके क्योंकि वह सत्ता में हैं, लेकिन एक वजह यह भी है कि नरेंद्र मोदी की सोच अलग है। अगर अटल बिहारी वाजपेयी सत्ता में होते, तो वह ऐसा नहीं करते।