इन्दौर । मालवांचल के प्रमुख संतों-महंतों ने राज्य में सुख-शांति एवं समृद्धि की मंगल कामना के साथ नर्मदा परिक्रमा का सार्थक आयोजन किया। यह यात्रा 28 अप्रैल से प्रारंभ होकर 7 मई को संपन्न हुई । इस दौरान देश के अनेक संत, विद्वानों ने यात्रा के प्रति अपनी सदभावनाएं भी व्यक्त कीं। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मनोकामना से इन संतों ने इस यात्रा का संकल्प किया था, जो अब पूरा हुआ।
जगदगुरू श्री टीलाद्वारा गद्याचार्य मंगल पीठाधीश्वर स्वामी माधवाचार्य महाराज के सानिध्य में इस यात्रा में महामंडलेश्वर राधे राधे बाबा, महामंडलेश्वर स्वामी पुरुषोत्तमदास शिवपुरी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिओमदास, महामंडलेश्वर स्वामी भक्तिचरणदास दिगंबर अखाड़ा, महामंडलेश्वर सीतारामदास महात्यागी अयोध्या, महामंडलेश्वर काशीदास महाराज पंवासा, महामंडलेश्वर राजीवलोचनदास महाराज काशी, महामंडलेश्वर रामगोपालदास, हंसदास मठ इन्दौर के महंत पवनदास महाराज, काशीदास मुंबई के अलावा मालवांचल के महंत राघवेन्द्रदास महाराज, संत कन्हैयादास महाराज, आचार्य पं. रामचरण शुक्ल आदि संतों, महंतों ने मां नर्मदा की परिक्रमा कर अंचल में सुख, शांति एवं सदभाव की प्रार्थना की। यात्रा में मोहित व्यास, दर्पण शर्मा, गंगादास (ललितपुर) मलूक पीठ वृन्दावन, हरिओमदास बांसवड़ा, अर्जुनदास, दिगम्बर अखाड़ा के भक्तिदास नाशिक, पपड़िया मठ जगन्नाथपुरी के सीतारामदास रामायणी भी शामिल थे। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पूर्व इन सभी संतों-महंतों ने संकल्प किया था कि जब भी रामलला मंदिर का निर्माण कार्य अयोध्या जन्मभूमि पर संपन्न हो जाएगा, वे यहां आकर अपना कृतज्ञता भाव व्यक्त करेंगे। इसी संकल्प से यह 10 दिवसीय नर्मदा परिक्रमा यात्रा की गई।
महंत पं. पवनदास महाराज ने बताया कि यह पहला मौका था जब मालवांचल के इतने महामंडलेश्वर एवं संतों, महंतों ने एक साथ नर्मदा परिक्रमा कर सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय की भावना से जगह-जगह मां नर्मदा की आरती भी की। अंचल के नर्मदा तट स्थित सभी तीर्थ स्थलों पर संतों और विद्वानों का जगह-जगह भक्तों द्वारा स्वागत भी किया गया। यह यात्रा 28 अप्रैल से प्रारंभ होकर 7 मई को संपन्न हुई। अब यात्रा के पश्चात आज से 15 मई तक अवध नारायण आश्रम मालसर गुजरात में नवकुंडात्मक श्रीराम महायज्ञ, हनुमान चालीसा एवं संत समागम का दिव्य आयोजन होने जा रहा है। इन्दौर से नर्मदा परिक्रमा यात्रा में गए संतों, महंतों का शहर आगमन पर हंसदास मठ पर महंत यजत्रदास, आचार्य पं. राजेश शास्त्री एवं पं. जयदीप दुबे सहित संस्कृत विद्यापीठ के वेदपाठी बटुकों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गरिमापूर्ण स्वागत सम्मान किया।