मुंबई । शिंदे की शिवसेना से उत्तर पश्चिम मुंबई के प्रत्याशी रवींद्र वायकर ने एक बड़ा खुलासा करके महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि मैं उद्धव ठाकरे की शिवसेना में आखिरी दम तक रहता। लेकिन कुछ सियासी मजबूरियों के चलते मुझे राज्य के सीएम शिंदे की शिवसेना में शामिल होना पड़ा।
वायकर का कहना है कि मेरे पास दो ही विकल्प थे। जेल जाऊं या फिर उद्धव ठाकरे की शिवसेना को छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाऊं। जब उद्धव ठाकरे से इस मामले में मदद नहीं मिली तो पार्टी बदलने के अलावा मेरे पास कोई विकल्प ही नही बचा था।
उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी वायकर मार्च में सीएम शिंदे के साथ शामिल हुए और उन्हें उम्मीदवार बनाया गया। वायकर ने कहा कि जब उन्हें एजेंसियों ने बुलाया तो उन्होंने ठाकरे से तीन बार मदद मांगी लेकिन उन्हें उद्धव ठाकरे का कोई सहयोग नहीं मिला। मैंने उन्हें सुझाव दिया था कि शायद हम प्रधानमंत्री मोदी सहित उच्च अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। हम उन्हें यह बता सकते हैं कि जो कुछ भी हो रहा है, वह अन्यायपूर्ण है। हालांकि, उद्धव ने हस्तक्षेप करने में असमर्थता जताई। शिंदे सेना प्रत्याशी ने कहा, मैंने फैसला किया कि जो भी हो, मुझे अब खुद ही इसका सामना करना होगा। उन्होंने कहा, लेकिन मैं पहले से ही एजेंसियों का सामना कर रहा था। सच तो यह है कि मेरी पार्टी के मुखिया को मेरा साथ देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।इसके बाद मेरे पास ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच के घेरे में आने के बाद उनके पास या तो जेल जाने या किसी अन्य पार्टी से संपर्क कर अपना पक्ष स्पष्ट करने का विकल्प था।
भारी मन से मैंने पक्ष बदला
जनवरी में, रवींद्र वायकर को ईडी का नोटिस मिला। उन्हें जोगेश्वरी में एक हाई-एंड होटल के निर्माण से संबंधित कथित 500 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया। ईडी का शिकंजा कसा। उनके ऊपर बीएमसी के साथ अपने समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगा। एक साक्षात्कार में रवींद्र वायकर ने कहा, झूठे आरोप में फंसने के बाद, मेरे पास केवल दो विकल्प बचे थे, या तो जेल जाना या पार्टी बदलना… भारी मन से मैंने पक्ष बदला… जब मेरी पत्नी का नाम भी (इस मामले में) शामिल किया गया, तो मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा। वायकर ने शिंदे से संपर्क किया, जिन्होंने दावा किया कि शिंदे ने उनकी चिंताओं को ध्यान से सुना और एजेंसियों की कार्रवाई पर सवाल उठाए। वायकर ने कहा, उन्होंने संबंधित अधिकारियों को बुलाया और पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है। शिंदे के उनका समर्थन किए जाने के बाद मेरा सारा तनाव और अवसाद दूर हो गया। वायकर ने कहा कि जहां तक शिंदे के साथ उनके संबंधों का सवाल है तो उनके साथ सब कुछ हमेशा सहज नहीं रहा, लेकिन कई बैठकों और अपने अजेंडे के बारे में सार्थक चर्चा के बाद वे अपने मतभेदों को दूर करने में सफल रहे।