-मुंबई की ट्रेब्यूनल कोर्ट का अहम फैसला
मुंबई । सड़क दुर्घटना में टीचर मॉं की हुई मौत के बाद ट्रेब्यूनल कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए मृतका की बेटी को 1.1 करोड़ का मुआवजा देने को कहा है। जब यह हादसा हुआ था तब बच्ची महज करीब 2 साल की रही, जबकि अब वो 11 साल की हो चुकी है और उसने अपनी दादी के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर की थी।
जानकारी अनुसार यह मामला 2015 का है, जबकि मझगांव में एक ट्रेलर ने स्कूटी को टक्कर मार दी थी। तब इस हादसे में एक महिला की मौत हो गई थी। मृतका की एक छोटी बच्ची थी। उसने अपनी मां को खो दिया। अब 9 साल बाद बच्ची को 1.1 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा। हादसे के समय करीब 2 साल की रही बच्ची आज 11 साल की हो चुकी है। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने बच्ची की मुआवजा राशि देने का आदेश दिया है।
इस मामले की खास बात यह है कि 2015 में नाबालिग बच्ची रितिका अशोकन के पिता अशोकन कनपथी, दादा आनंद सुबैया राय ने दावा दायर कर मुआवजे की मांग की थी। मामला लंबित रहने के दौरान दोनों व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। इनके निधन के बाद बच्ची ने अपनी दादी के माध्यम से दावा दायर किया। तभी से बच्ची की देखभाल उसकी दादी भानुमति आनंदराज कर रही हैं और इस मुआवजे की बच्ची ही एकमात्र दावेदार है। अंतत: मामले पर फैसला देते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि मुआवजे की गणना करते समय इन पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए कि बच्ची की मां सीता अशोकन अपनी मृत्यु के वक्त 37 साल की थीं। वो स्कूल टीचर थीं और ट्यूशन पढ़ाती थीं। मृत्यु के समय उनकी मासिक आय 60,000 रुपये आंकी गई थी।
न्यायाधिकरण ने आगे कहा, कि जब महिला की मृत्यु हुई, तब उसकी आयु कम थी। अगर वह जिंदा रहतीं तो उनकी नौकरी लंबे समय तक चलती। इस दौरान उनके वेतन में भी अधिक वृद्धि होने की संभावना थी। परंतु सड़क दुर्घटना के चलते उनकी जान चली गई और बच्ची ने बेहतर जीवन जीने का अवसर खो दिया। अब बच्ची को मुआवजा ट्रेलर मालिक विद्याधर मिश्रा और बीमाकर्ता, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को देना होगा। यह सड़क दुर्घटना 11 मई, 2015 को दोपहर 2.40 बजे घटित हुई थी।