होम लोन की ईएमआई में नहीं होगी बढ़ोतरी
नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को नीतिगत दर यानी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यानी ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा है। इस तरह सस्ते कर्ज और कम ईएमआई के लिए लोगों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। इस बात की घोषणा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। आरबीआई की एमपीसी ने 4:2 बहुमत से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। दर-निर्धारण पैनल ने सहूलियत वापस लेने के रुख को भी बरकरार रखने का फैसला किया। रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को धन की कमी होने पर ऋण प्रदान करता है। यह मौद्रिक अधिकारियों के लिए मुद्रास्फीति के दबावों को प्रबंधित करने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है। एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सीपीआई आधारित खुदरा मुद्रास्फीति मई में 5 फीसदी के आसपास रहने और जुलाई तक घटकर 3 फीसदी होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अक्टूबर से 2024-25 के अंत तक मुद्रास्फीति 5 फीसदी से नीचे रहेगी। अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 4.83 फीसदी दर्ज की गई। बाजार के जानकार ने कहा कि रेपो दर को अपरिवर्तित रखने से संभावित घर खरीदारों के लिए सामर्थ्य बनाए रखने में मदद मिलेगी, जिससे आवास बाजार को समर्थन मिलेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह नीति रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग बढ़ाने और समग्र आर्थिक विकास में योगदान देने के लिए महत्वपूर्ण है। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति को 4 फीसदी पर बनाए रखने का काम सौंपा है, जिसमें दोनों तरफ 2 फीसदी का मार्जिन रहेगा। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ईंधन की कीमतों में गिरावट जारी है, खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है। उन्होंने कहा कि एमपीसी मुद्रास्फीति, विशेष रूप से खाद्य मुद्रास्फीति के बाहरी जोखिमों के प्रति सतर्क है, क्योंकि इससे अवस्फीति की राह में देरी हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को भारतीय रिजर्व बैंक के लक्ष्य स्तर तक कम करने और मुद्रास्फीति की उम्मीद को स्थिर रखने ध्यान केंद्रित कर रहा है। आरबीआई मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर 4 फीसदी के लक्ष्य पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है।