बॉडी के डेली रिद्म का लॉन्ग टर्म में होता है बड़ा असर
वाशिंगटन । अगर आप लंबी और हेल्दी जीवन जीना चाहते हैं, तो कम कैलोरी वाला भोजन सही समय पर करें। अमेरिका के ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स की अगुआई में हुई एक स्टडी के अनुसार, बॉडी के डेली रिद्म का लॉन्ग टर्म में बड़ा असर होता है। इंस्टीट्यूट के एक रिसर्चर जोसेफ ताकाहाशी के अनुसार, ‘स्टडी के दौरान चूहों को जब सिर्फ उनके सबसे ज्यादा एक्टिव टाइम में खाना दिया गया, तो कम कैलोरी में भी उनका जीवनकाल बढ़ गया।
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि रिसर्चर्स ने चार साल तक सैकड़ों चूहों पर किए गए टेस्ट में पाया कि भोजन में सिर्फ कैलोरी की मात्रा कम किए जाने से उनका जीवनकाल 10 प्रतिशत बढ़ गया। इसी तरह जब चूहों को सिर्फ रात में खाना दिया गया, तो उनका जीवन 35 प्रतिशत बढ़ गया। रात में भोजन इसलिए कि चूहे रात में ही सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं। देखा गया कि कम कैलोरी और सिर्फ रात में भोजन करने का कंबाइंड इफेक्ट ये रहा कि दो साल जीवनकाल वाले चूहों की उम्र 9 महीने बढ़ गई। हाल के वर्षों में देखा गया है कि कई तरह के फेमस डाइट प्लान पर जोर दिया जाता है। इनमें नियमित तौर पर फास्टिंग या छह से आठ घंटे के नियमित अंतराल पर ही भोजन करने जैसे उपाय शामिल किए जाते हैं। इसी संदर्भ में ताकाहाशी और उनकी टीम ने कैलोरी, फास्टिंग, सर्कैडियन रिद्म जैसे कारकों का जीवनकाल पर असर का पता लगाने के लिए चार वर्षों का ये प्रयोग किया। रिसर्चर्स का कहना है कि इसके मद्देनजर इंसानों को भी अपने भोजन का समय सिर्फ दिन में ही निर्धारित करना चाहिए।
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर के माइक्रोबायोलाजिस्ट जोसेफ ताकाहाशी ने बताया कि इस स्टडी ने भोजन के समय से संबंधित विवाद को भी सुलझा दिया है और इस बात पर जोर दिया है कि भोजन दिन में किसी समय पर ही करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस तरह से इंसान यदि अपने खाने को टाइम बाउंड करे तो उससे वजन के तेजी से कम होने का खतरा तो नहीं ही बढ़ेगा, बल्कि हेल्थ के लिए फायदेमंद होगा और दीर्घकालिक तौर पर लंबा जीवनकाल मिलेगा। बुढ़ापे में होने वाले बदलावों (जेरन्टोलॉजी) से संबंधित विषयों में रिसर्च करने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग, बाल्टीमोर के साइंटिस्ट राफेल डे काबो के मुताबिक, ये बड़ा दिलचस्प निष्कर्ष है कि आप भले ही कैलोरी को सीमित कर लें या कम कैलोरी वाला भोजन करें, लेकिन यदि आप सही समय पर भोजन नहीं करते हैं, तो कैलोरी कम करने का पूरा फायदा नहीं मिलेगा।
रिसर्चर्स की टीम ने सैकड़ों चूहों को एक घर में रखकर आटोमैटिक फीडर के जरिए कंट्रोल करके ये जानने की कोशिश की कि वे अपने जीवनकाल में कब और कितना खाते हैं। इनमें कुछ चूहों को उनकी इच्छानुसार जितना चाहिए, उतना भोजन उपलब्ध कराया गया, जबकि कुछ अन्य के लिए 30-40 प्रतिशत कैलोरी सीमित की गई। जिनकी कैलोरी सीमित की गई, उन्हें अलग-अलग शेड्यूल में भोजन दिया गया। इसका असर देखा गया कि जिन चूहों को रात में दो घंटा या 12 घंटे पर कम कैलोरी डाइट दिया गया, उनका जीवनकाल सर्वाधिक था। ताकाहाशी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि कैलोरी को सीमित किए जाने का बढ़ती उम्र के साथ शरीर की इंटरनल क्लॉक पर होने वाले इफेक्ट्स से साइंटिस्ट इंसान को हेल्थ और दीघार्यु बनाने का नया रास्ता खोज सकेंगे।