नई दिल्ली । केरल में मानसून ने समय एक दो दिन पहले ही जमकर बारिश के साथ अपने आने का संकेत दे दिया। मानसून आमतौर पर वहां से चलकर उत्तर भारत में 26 जून तक पहुंचता है। हालांकि मौसम विभाग का मानना है कि मानसूनी हवाओं की चाल थोड़ी धीमी पड़ी है, लिहाजा ये समय से थोड़ी देर से ही उत्तर भारत में आएगा। वैसे पिछले कई सालों से उत्तर में मानसून का आगाज कुछ देर से ही होता है। लेकिन आप जानते हैं कि मानसून क्यों लेट हो जाता है और इससे क्या असर होता है।
मॉनसून क्या है?
मॉनसून महासागरों की ओर से चलने वाली तेज हवाओं की दिशा में बदलाव को कहा जाता है। इससे केवल बारिश ही नहीं होती, बल्कि अलग इलाकों में ये सूखा मौसम भी बनाता है। हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से चलने वाली ये तेज हवाएं भारत सहित बांग्लादेश और पाकिस्तान में भारी बारिश कराती है। मॉनसून आमतौर पर 1 जून से 15 सितंबर तक 45 दिनों तक सक्रिय रहता है। बारिश और सर्दी मॉनसून में बंटी ठंडे से गर्म इलाकों की ओर बढ़ने वाली ये मौसमी हवा दक्षिण एशिया के मौसम को बनाती है। समर मॉनसून तेज हवाओं के साथ होने वाली बारिश है, जो अप्रैल से सितंबर के बीच होती है। ठंड खत्म होने पर दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर से सूखी नम हवा भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार की ओर बहने लगती है। इससे मौसम में नमी आ जाती है और हल्की से लेकर तेज बारिश होती है।
हिंद और अरब महासागर से बहने वाली हवाएं हिमालय से होती हुई भारत के दक्षिण-पश्चिम से टकराकर बारिश करती हैं। वहीं, सर्दी में मॉनसून अक्टूबर से अप्रैल तक रहता है। उत्तर-पूर्वी मॉनसून को विंटर मानसून कहते हैं। इसमें हवाएं मैदान से सागर की ओर चलती हैं। मॉनसून के आने से पहले इसकी वृद्धि के कुछ लक्षण भारतीय मुख्य भूमि पर 15 दिन पहले ही दिखाई देते हैं। जब दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून आता है, तब भारतीय क्षेत्र में हवा के संचलन, संवहन और तापमान के पैटर्न में बदलाव होना शुरू हो जाता है।
मॉनसून में देरी का मुख्य कारण भारतीय उपमहाद्वीप पर मध्य-अक्षांश पछुआ हवाओं के रूप में पहचानी जाने वाली हवाओं के बड़े समूह की लगातार उपस्थिति होता है, जिसका एक छोटा सा हिस्सा पश्चिमी विक्षोभ होता है। अमूमन पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र और उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों को प्रभावित करता है। फरवरी 2023 में रिकॉर्ड गर्मी के बाद मई की शुरुआत तक मौसम ठंडा रहा। बेमौसमी बारिश के कारण ठंड की अवधि बढ़ने से भी दक्षिण पश्चिमी मॉनसून में देरी होती है। पश्चिमी हवाएं जब ज्यादा समय तक भारतीय क्षेत्र में रहती हैं, तब दक्षिण पश्चिम मॉनसून की हवाओं को इन्हें काटना पड़ता है। इसमें समय लगने के कारण भी मॉनसून में देरी होती है। भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ये मजबूत संबंध है। खेती-किसानी भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। इसकारण मॉनसून कृषि और अर्थव्यवस्था दोनों पर बराबर असर डालता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मॉनसून के इर्दगिर्द घूमती है। खराब मॉनसून तेजी से बढ़ती उपभोक्ता वस्तुओं की मांग को कमजोर करता है। साथ ही आवश्यक खाद्य वस्तुओं के आयात को बढ़ावा देता है। वहीं, सरकार को कृषि कर्ज छूट जैसे उपायों को करने के लिए भी मजबूर करता है।इससे सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ जाता है!
इस बार उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है। उससे निजात मानसून के साथ आई लगातार बारिश ही दे सकती है। लिहाजा इस बार मानसून का इंतजार भी ज्यादा है लेकिन भारतीय मौसम विभाग का मानना है कि इसमें 03-04 दिनों की देरी होगी। इसका मतलब है कि उत्तर भारत में मानसून जुलाई के पहले हफ्ते में पहुंचेगा।