नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का न्योता दिया है । पीएम मोदी से पहले पोप से पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, इन्द्र कुमार गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी मिल चुके हैं। पीएम मोदी जब साल 2021 में जी20 समिट के लिए रोम के दौरे पर गए थे, तब भी उन्होंने पोप फ्रांसिस से मुलाकात की थी और उन्हें भारत आने का न्योता दिया था। साल 2016 में भी पोप फ्रांसिस भारत आने वाले थे, मगर ऐसा नहीं हो पाया था। पोप फ्रांसिस की बात करें तो अब तक वह भारत के दौरे पर नहीं आए हैं। भारत का दौरा करने वाले अंतिम पोप जॉन पॉल द्वितीय थे, जो एशिया में चर्च पर एक पोप दस्तावेज जारी करने के लिए 1999 में नई दिल्ली आए थे।
पीएम मोदी जी 7 समिट में पोप फ्रांसिस से मिले। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का न्योता दिया है । उम्मीद की जा रही है कि इस बार पोप फ्रांसिस भारत दौरे पर आएंगे। पीएम मोदी 87 वर्षीय पोप फ्रांसि के साथ गले मिले और हल्के-फुल्के अंदाज में बातचीत करते नजर आए। पोप फ्रांसिस को पीएम मोदी ने साल 2016 और 2021 में भी भारत आने का न्योता दिया था। मगर वह नहीं आए। इस बार भी पीएम मोदी ने इटली में जी7 शिखर सम्मेलन के इतर वेटिकन के चीफ पोप फ्रांसिस को भारत आने का न्योता दिया। अब देखने वाली बात है कि पोप फ्रांसिस आते हैं या नहीं, या फिर आते हैं तो कब। अगर वह आते हैं तो हिंदू बहुल राष्ट्र में उनकी यह पहली यात्रा होगी। दरअसल, पीएम मोदी और पोप फ्रांसिस ने इटली के अपुलिया में जी7 शिखर सम्मेलन के ‘आउटरीच सेशन’ में गर्मजोशी से मुलाकात की। पीएम मोदी ने कहा कि मैं लोगों की सेवा करने और हमारे ग्रह को बेहतर बनाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं। साथ ही उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया। वहीं, पोप फ्रांसिस ने भी न्योता स्वीकार कर लिया है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर विषय पर ‘आउटरीच सेशन’ में अपने संबोधन में कहा कि एआई का बेहतर इस्तेमाल करना हममें से प्रत्येक पर निर्भर करता है। बता दें कि पीएम मोदी रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस से मिलने वाले भारत के पांचवें प्रधानमंत्री हैं।
अब सवाल है कि आखिर पोप को भारत आने का न्योता कितना अहम है? तो इसका जवाब है कि भारत एशिया में दूसरी सबसे बड़ी कैथोलिक आबादी वाला देश है। दरअसल, भारत में रोमन कैथोलिकों की संख्या करीब 20 मिलियन से अधिक है। ईसाई धर्म भारत में हिंदू और इस्लाम के बाद तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। फीलीपींस के बाद भारत ही एशिया का वह देश है, जहां कैथोलिकों की आबादी सबसे अधिक है। इस लिहाज से देखा जाए तो पोप का दौरा भारत के लिए काफी अहम है। उनके आने से ईसाईयों और पादरियों में खुशी की लहर होगी। भारत की आबादी का यह करीब डेढ़ फीसदी है। भारत के चर्च और पादरी भी लंबे वक्त से पोप की राह देख रहे हैं। पादरियों ने कई बार पीएम मोदी से पोप को भारत आने का न्योता देने की गुहार लगा चुके हैं।
सियासी नजरिए से भी देखें तो पोप फ्रांसिस अगर भारत आते हैं तो यह मोदी की सफलता मानी जाएगी, क्योंकि पोप फ्रांसिस अब तक भारत नहीं आए हैं। भारत में अक्सर ईसाईयों पर धर्मांतरण के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में उनका भारत आना कई परसेप्शन को तोड़ सकता है। बीते कुछ सालों से भारत आर्थिक रूप से आगे तो बढ़ा ही है। दुनिया के अन्य देशों के साथ भी रिश्ते प्रगाढ़ हो रहे हैं। पोप के भारत आने से दुनिया को भी एक संदेश जाएगा। पोप यूरोपीय देशों अथवा ईसाई बहुल देशों में केवल धार्मिक ही नहीं, राजनीतिक रूप से भी इन्फ्लूएंस करते रहे हैं। ऐसे में उनके भारत दौरे से इंडिया का ग्लोबल इमेज और बेहतर होगा। साथ ही केरल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। केरल में ईसाई वोटरों की संख्या करीब 20 फीसदी है। ऐसे में अगर पोप भारत दौरे पर आते हैं तो इसका एडवांटेज केरल चुनाव में भाजपा को मिल सकता है।