केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा-गोपनीयता भंग के नहीं मिले सबूत
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नीट यूजी 2024 को रद्द करना सही कदम नहीं होगा, क्योंकि परीक्षा की गोपनीयता भंग होने के सबूत नहीं मिले हैं। केंद्र ने यह भी कहा कि यदि परीक्षा रद्द की गई तो लाखों छात्र इससे प्रभावित होंगे और उनके भविष्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा।
बता दे धांधली और पेपर लीक के आरोपों के चलते नीट-यूजी परीक्षा पर विवाद खड़ा हो गया था और कई छात्रों परीक्षा रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। नीट परीक्षा आयोजित कराने वाली एजेंसी एनटीए ने भी कोर्ट से परीक्षा रद्द नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि परीक्षा में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए नीट-यूजी का आयोजन एनटीए करती है। इस साल पांच मई को आयोजित परीक्षा में पेपर लीक समेत कई तरह की अनियमितताओं के आरोपों के चलते विरोध प्रदर्शन हुए। परीक्षा को रद्द करने और गड़बडि़यों की जांच के लिए छात्रों, कोचिंग संस्थानों और अभिभावकों ने कोर्ट में दायर याचिकाओं के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करते हुए शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।
मंत्रालय ने कहा कि परीक्षा में गोपनीयता के किसी बड़े पैमाने पर उल्लंघन का कोई सबूत नहीं मिला है। ऐसे में पूरी परीक्षा को रद्द करना तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि परिणाम पहले ही घोषित हो चुका है। हलफनामे में कहा गया है कि किसी भी परीक्षा में प्रतिस्पर्धी अधिकार होते हैं, ऐसे छात्रों के हितों को नुकसान नहीं हो, जो परीक्षा में कोई अनुचित तरीका नहीं अपनाते हैं। यह भी कहा गया है कि परीक्षा को पूरी तरह रद्द करने से 2024 में परीक्षा देने वाले लाखों ईमानदार उम्मीदवारों को गंभीर नुकसान होगा।
हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र लाखों छात्रों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जो कोई अवैध लाभ प्राप्त करने का प्रयास किए बिना, सालों की कड़ी मेहनत के बाद परीक्षा में शामिल हुए हैं। इसमें कहा गया है कि साबित तथ्यों पर आधारित वास्तविक चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए, वहीं बिना किसी तथ्य के अनुमान पर आधारित याचिकाओं को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए। अब सुप्रीम कोर्ट 8 जुलाई को संबधित याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिनमें पांच मई को आयोजित परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिकाएं और नए सिरे से परीक्षा कराने करने की मांग वाली याचिकाएं शामिल हैं।
दूसरी ओर एनटीए ने कहा कि नीट-स्नातक 2024 परीक्षा बिना किसी अवैध गतिविधि के पूरी तरह से निष्पक्ष और गोपनीयता के साथ आयोजित की गई थी और सामूहिक कदाचार का दावा पूरी तरह से अपुष्ट भ्रामक है और इसका कोई आधार नहीं है।