पुरी । राजनीति का कोई स्तर नहीं बचा है। कभी भी किसी भी बहाने सियासत शुरु हो जाती है। भगवान जगन्नाथ मंदिर के भीतरी खजाने की चाबी लंबे समय से गायब है। चाबी कैसे मिले इसके प्रयास करना तो दूर बल्की उस पर राजनीति शुरु हो गई है। भंडार की चाबी खोने की बात तब पता चली, जब सरकार ने मंदिर की संरचना की भौतिक जांच की कोशिश की। 4 अप्रैल 2018 को बताया गया कि रत्न भंडार की चाबियां खो गईं हैं। फिर डुप्लीकेट चाभी का भी पता चला। तब विवाद और बढ़ गया। इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया।
इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उठाया था। 20 मई 2024 को पीएम मोदी ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी का प्रचार करने गए थे। पुरी में जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने रत्न भंडार का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जगन्नाथ मंदिर सुरक्षित नहीं है। मंदिर के रत्न भंडार की चाबी पिछले 6 साल से गायब है। उन्होंने चाबी को तमिलनाडु भेजे जाने का जिक्र किया। प्रधानमंत्री के इस बयान पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी पटलवार किया। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री को वोट के लिए तमिलों को बदनाम करना बंद करना चाहिए। वहीं ओडिशा सरकार ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को दोबारा खोलने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक नयी उच्च स्तरीय समिति गठित की है, ताकि उसमें रखी कीमती वस्तुओं की सूची तैयार की जा सके। ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस संबंध में उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार समिति का गठन किया गया है। इस साल मार्च में पूर्ववर्ती बीजू जनता दल सरकार ने रत्न भंडार में रखे आभूषणों और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की सूची की निगरानी के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था। भाजपा सरकार ने न्यायमूर्ति पसायत के नेतृत्व वाली समिति को भंग कर दिया है और नयी समिति गठित कर दी है।
चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में एक रत्न भंडार है। इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को जेवरात चढ़ाए थे। उन सभी को रत्न भंडार में रखा जाता है। इस रत्न भंडार में मौजूद जेवरात की कीमत बेशकीमती बताई जाती है। आज तक इसका मूल्यांकन नहीं किया गया है। जगन्नाथ मंदिर का यह रत्न भंडार दो भागों में बंटा हुआ है। पहले को भीतरी भंडार कहा जाता है और दूसरे को बाहरी भंडार। बाहरी भंडार में भगवान को अक्सर पहनाए जाने वाले जेवरात रखे जाते हैं। वहीं जो जेवरात उपयोग में नहीं लाए जाते हैं, उन्हें भीतरी भंडार में रखा जाता है। रत्न भंडार का बाहरी हिस्सा अभी भी खुला है, लेकिन भीतरी भंडार की चाबी पिछले छह साल से गायब है। रत्न भंडार को अंतिम बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था। इसके बाद रत्न भंडार कभी नहीं खुला और उसकी चाबी भी गायब है।
जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में क्या-क्या?
1978 में खजाने के सामानों की लिस्ट बनाई गई। 70 दिनों में यह काम पूरा हुआ। 13 मई 1978 से 23 जुलाई 1978 तक लगातार यह काम काम चलता रहा। भंडार से सोना, चांदी, हीरा, मूंगा और अन्य आभूषण मिले। भीतरी भंडार में 367 सोने के गहने मिले। इनका वजन 4,360 भारी का था। यहीं से 231 चांदी के सामान मिले. इनका वजन 14,828 भारी था. बाहरी भंडार में 87 सोने के गहने मिले. इनका वजन 8,470 भारी था। यहीं से 62 चांदी के सामान मिले. इनका वजन 7,321 भारी था। एक भारी या तोला करीब 12 ग्राम का होता है। 2021 में तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा को बताया कि जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 1978 में खोला गया था। तब 12,831 भारी सोने और अन्य कीमती धातु और 22,153 भारी चांदी यहां से मिला था. 14 सोने और चांदी की वस्तुओं का वजन नहीं किया जा सका। इसके साथ ही किसी भी सामान या गहने का मूल्य निर्धारित नहीं किया गया।