भोपाल । मध्य प्रदेश शासन के मंत्री रामनिवास रावत की शपथ विवादों में आ गई है। कांग्रेस का आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष को कांग्रेस ने रामनिवास को अयोग्य घोषित करने का पत्र दिया था। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उस पर कार्रवाई नहीं की गई। रामनिवास रावत ने कब विधायक पद से स्तीफा दिया? मंत्री पद की शपथ लेने के बाद रावत ने विधायक पद से इस्तीफा दिया है। कांग्रेस का कहना है, रामनिवास रावत को कांग्रेस विधायक के रुप में मंत्री पद की शपथ दिलाना असंवैधानिक है।
कांग्रेस की नाराजगी इस बात को लेकर है कि रामनिवास रावत कांग्रेस विधायक के तौर पर मंत्री पद की शपथ कैसे ले सकते हैं? ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि कांग्रेस ने 05 जुलाई को ही रामनिवास रावत को अयोग्य घोषित कर सदस्यता समाप्त करने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिस पर विचार नहीं किया गया और उन्हें मंत्री पद की शपथ दिला दी गई। कांग्रेस का कहना है कि रामनिवास रावत की सदस्यता समाप्त करने पर्याप्त आधार और प्रामणिकता के साथ एक रिपोर्ट स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। इस मामले में कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि यह दुर्भाग्य ही है कि उन्होंने अपना कर्तव्य नहीं निभाया। लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा ने एक कांग्रेस विधायक को मंत्री पद की शपथ दिलाई है, जो कि लोकतंत्र की हत्या जैसा है! इससे लोकतंत्र और संविधान का घोर अपमान हुआ है।
यहां बताते चलें कि जिस दिन लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए राहुल गांधी मध्य प्रदेश में आए हुए थे, तभी 30 अप्रैल को भाजपा की रैली में रामनिवास रावत भाजपा में शामिल होने का ऐलान कर रहे थे। इसका असर चुनाव नतीजों पर व्यापक तौर पर देखने को मिला। इसके बाद 05 जुलाई को कांग्रेस ने रामनिवास रावत को अयोग्य ठहराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा। बावजूद इसके स्पीकर ने इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया और 08 जुलाई को रामनिवास रावत ने मोहन सरकार में मंत्री पद की शपथ भी ले ली। वह भी एक बार नहीं बल्कि 15 मिनट में दो बार रावत ने शपथ ली। अब इस मामले को लेकर कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है। सुनवाई नहीं होने की स्थिति में कानूनी लड़ाई लड़ने की भी तैयारी करने की बात कांग्रेस कर रही है।