विधि के विधान को मानते हो तो संयोग-वियोग, मान-अपमान में कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए : मुनि प्रमाण सागर

:: अभय प्रशाल में श्रावक-श्राविकाओं ने लिया प्रवचनों का लाभ ::
:: शाम को शंका समाधान शिविर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में पहुंच रहे जैन धर्मावलंबी ::
इन्दौर । जिसके हृदय में विधी के विधान पर पक्का विश्वास होता है वह अनूकूल संयोग आने पर फूलता नहीं तथा प्रतीकूल संयोग आने पर कूलता नहीं। यदि तुम विधी के विधान को मानते हो तो संयोग-वियोग, मान-अपमान में आपको कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिये। जिसको विधी के विधान पर पक्का विश्वास होता है वह आरोप-प्रत्यारोप की भाषा नहीं बोलता है। सब कुछ कर्मधीन है किसको दोष दें? प्रतिदिन सुबह उठो और प्रकृति का आभार व्यक्त करना सीखो कि तेरी कृपा से मुझे एक नया दिन देखने का मौका मिला। मन को प्रसन्नता से तथा आनंद से भरकर उठोगे तो आपको अपने जीवन से असंतुष्टी नहीं होगी।
उक्त विचार आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य 108 मुनि प्रमाण सागर महाराज ने गुरूवार को रेसकोर्स रोड़ स्थित अभय प्रशाल में सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे प्रवचनों में कहा कि जब चीजें तुम्हारे नियंत्रण में ही नही तो उसको संचालित करने का प्रयास क्यों करते हो। दूसरों के घर में हुकुमत चलाना चाहोगे तो सामने वाला तुम्हें घर से धक्का मार कर बाहर निकाल देगा। उन्होंने आगे प्रवचनों में एक सब्जी बेचने वाली महिला का दृष्टांत देते हुए कहा कि तत्व की बात बड़े-बड़े ज्ञानी ही दें यह जरूरी नहीं एक सब्जी बेचने वाली महिला के मुख से भी मिल सकता है। वह सब्जी बेचने वाली महिला जो हमेशा प्रसन्न रहती थी तथा मोहल्ले में आकर सब्जी बेचती थी अचानक उसके 25 साल के बेटे की मृत्यु हो जाती है और वह तीन दिन पश्चात जब सब्जी बेचने आई तो उसके चेहरे पर वही मुस्कराहट देखने को मिली जो पहले हुआ करती थी, तो लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ, जब उससे इसका राज उस मां से पूछा गया तो उसने जो उत्तर दिया। बेटा भी जाने वाला है, और में भी जाने वाली ह़ूं, दुनिया में जो है सब जाने वाला है, मैं जानती हूँ कि मेरा और मेरे बेटे का नियोग इतने ही दिन का था वह चला गया, अब किसके लिए रोना ? कहते है कि वह एक सब्जी बेंचने वाली थी पर उसने पूरे संसार को एक बहूत बड़ा संदेश दे गई।
:: मुनिश्री ने की इन्दौर शहर की स्वच्छता की तारीफ की ::
मुनिश्री प्रणाम सागर ने इन्दौर शहर की स्वच्छता की तारीफ करते हुए कहा कि स्वच्छ शहर में जीवन जीने का सुयोग तो आपको मिल गया, लेकिन अंतरंग में स्वच्छता कितनी है यह आपको अपने अंदर झांक कर देखना होगा। मुनिश्री ने चार बातों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नैगेटिव थाट्स, नैगेटिव थिंकिंग, नैगेटिव ऐटिट्यूड, तथा नैगेटिव एप्रोच के कारण ही हम जीवन में खुश नहीं रह पाते, जब सब कुछ विधी के विधान पर केंद्रित है, तो अपने आपको संतुष्ट रखना सीखो, अनुकूल संयोग आएं तो प्रकृति का धन्यवाद दो और प्रतीकूल संयोग आएं तो हायतौबा न मचाते हुए उसे कर्माधीन मानकर उसको भी धन्यवाद दो।
धर्म प्रभावना समिति एवं प्रचार प्रमुख राहुल जैन (स्पोर्ट्स वर्ल्ड) एवं नवीन-आनंद गोधा ने बताया कि गुरूवार को प्रवचन के दौरान समिति अध्यक्ष अशोक दोषी, महामंत्री हर्ष जैन, कार्याध्यक्ष धर्मेंद्र जैन (सिनकेम), भरत मोदी, मनोज बाकलीवाल, अनामिका बाकलीवाल, सुनील बिलाला, मुकेश पाटौदी, गजेंद्र जैन, गिन्नी ग्रुप, दिलीप गोधा, संजीव लोढ़ा, कमल अग्रवाल, हेमंत पाटनी, रानी दोषी सहित बड़ी संख्या में समग्र दिगंबर जैन समाज बंधु शामिल हुए थे।
:: 29 से युवाओं के लिए जैनमश्री शिक्षण शिविर ::
प्रचार प्रमुख राहुल जैन एवं नवीन-आनंद गोधा ने बताया कि सोमवार 29 जुलाई को प्रात: 6 से 7 बजे तक जैनमश्री शिक्षण शिविर का आयोजन होगा। जिसमें युवाओं को जैनत्व के संस्कार एवं शिक्षा का परिचय प्राप्त करने तथा प्रसन्नता के साथ जीवन जीने की कला पर आधारित युवाओं के लिए विशेष शिविर रहेगा। युवाओं के साथ-साथ श्रावक-श्राविकाएं भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहेंगे। शिविर में 15 से 45 वर्ष के समाज बंधु भाग लेंगे। जिनका पंजीयन समिति द्वारा किया जा रहा है।