भारत व प्रत्येक भारतीयों आज का दिन महत्वपूर्ण है।
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत आज23अगस्त को अपना पहला राष्ट्रीय अंतिरक्ष दिवस के रूप मना रहा है।
भारत व प्रत्येक भारतीयों आज का दिन महत्वपूर्ण है इसके पीछे देश के युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान व अनुसंधान की दिशा में प्रेरित करना है।
नई दिल्ली (ईएमएस)। हमारा देश भारत विश्व के लिए हमेशा ही चर्चा व चिन्तन का केन्द्र में बना रहता है।चाहे वह सामाजिक हो या राजनीतिक, राष्ट्रीय हो या अन्तराष्ट्रीय,जमीन हो आसमान अपनी करिशमाई गतिविधियों हो। आज हम राष्ट्रीय अंतिरक्ष दिवस की पहली वर्षगाठ के उपलक्ष्य में चर्चा कर रहे है।आज का खास दिन चंद्रयान-3 की सफलता से जुड़ा है।पिछले बर्ष आज के ही दिन भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी सफलता अपने नाम की थी।विगत बर्ष आज ही चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंडिंग एक इतिहास रच दिया था।चांद पर उतरने वाला भारत चौथा देश बना और साउथ पोल पर पहली बार किसी देश ने सफल लैंडिंग की। अब हर साल यह दिन राष्ट्रीय अंतिरक्ष दिन के तौर पर मनाया जाएगा।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस प्रथम वर्षगाठ के शुभ अवसर पर नई स्थित भारत मंडपम में आयोजित समारोह में महामहिम राष्ट्रपति महोदया श्री मति द्रोपदी मुर्म शामिल हुईं।23अगस्त,2023 को चंद्रमा की सतह पर ‘विक्रम’ लैंडर के सफलतापूर्वक उतरने की याद में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया जा रहा है।इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इसरो ने अपने शुरुआती दिनों से ही शानदार यात्रा की है।इसरो ने अंतरिक्ष क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।इसके साथ ही इसरो ने देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है।राष्ट्रपति महोदया ने उन समर्पित वैज्ञानिकों की सराहना की जिन्होंने न्यूनतम संसाधनों का उपयोग करके भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अंतरिक्ष कार्यक्रमों में शामिल किया है।राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि हमारा देश अंतरिक्ष विज्ञान में निरंतर प्रगति करेगा और हम उत्कृष्टता के नए कीर्तिमान स्थापित करते रहेंगे।
उन्होंने ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की प्रगति असाधारण है।चाहे सीमित संसाधनों के साथ सफलतापूर्वक पूरा किया गया मंगल मिशन हो या एक साथ सौ से अधिक उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण,हमने इस क्षेत्र में कई प्रभावशाली उपलब्धियां हासिल की हैं।उन्होंने ने कहा कि अंतरिक्ष अन्वेषण ने मानव क्षमताओं को बढ़ाया है और हमारी कल्पना को साकार किया है लेकिन अंतरिक्ष अन्वेषण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।अंतरिक्ष अन्वेषण के दौरान आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए किए गए शोध से विज्ञान के विकास में तेजी आती है और मानव जीवन में सुधार होता है। अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास से स्वास्थ्य और चिकित्सा,परिवहन,सुरक्षा, ऊर्जा,पर्यावरण और सूचना प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों को लाभ मिला है।अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने से स्टार्ट-अप की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है।इससे न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान में प्रगति हुई है,बल्कि हमारे युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने और निखारने के नए अवसर भी मिले हैं।उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि कुछ महीने पहले ही एक भारतीय कंपनी ने सिंगल-पीस 3डी प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन से चलने वाले रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया,जो इस तरह की पहली उपलब्धि थी।
हमें भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। अंतरिक्ष में कचरा अंतरिक्ष मिशनों के लिए समस्याएँ पैदा कर सकता है।उन्होंने ‘सुरक्षित और सतत संचालन प्रबंधन के लिए इसरो प्रणाली’ सुविधा की सराहना की, जिसका संचालन अंतरिक्ष अनुसंधान गतिविधियों की निरंतर प्रगति सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है।उन्हें यह जानकर भी अत्यंत प्रसन्नता हुई कि भारत वर्ष 2030 तक अपने सभी अंतरिक्ष मिशनों को कचरा-मुक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
आपको याद होगा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रमा पर लैंड करने की कोशिश पहले भी की थी लेकिन पिछले प्रयास असफल रहे।यहाँ पर एक कहावत चरितार्थ हुई।कोशिस करने वाले की हार नही,आखिरकार, 23 अगस्त 2023 को भारत ने चांद पर सफल लैंडिंग की।भारत ने जहां लैंडिंग की है,उसे शिव शक्ति पॉइंट नाम दिया गया है।
अंतरिक्ष की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।भारत इसरो अंतरिक्ष की दिशा में लगातार नए प्रयास और अनुसंधान कर रहा है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद अब चंद्रयान-4 की दिशा में काम शुरू हो चुका है। इसके बाद भारत की योजना गगनयान मिशन के साथ इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की है।