मिट्टी के लक्ष्मी गणेश को शीघ्र मिलेगा जीआईटैग

वाराणसी । वाराणसी का लगड़ा आम, बनारसी साड़ी और लकड़ी के खिलौने अंतराष्ट्रीय बाजार में पहले से ही धूम मचाये हुए हैं थे कि वाराणसी के कारीगरों द्वारा मिट्टी का बना लक्ष्मी -गणेश की मूर्ति भी जी आई श्रेणी में जुड़ने जा रहा है, यानि की कागजी औपचारिकतायें पूरी हो गयी है और जल्दी ही इसे जी आई टैग प्राप्त हो जायेगा।
यह जानकारी वाराणसी के जीआई विशेषज्ञ पदम् श्री डॉ रजनीकांत नें दी है। पूजा पाठ की सामग्रियों के प्रमुख उत्पादक एवं व्यवसायि रामेश्वर सिंह नें बताया कि वाराणसी के बने खिलौने और देवी देवताओं की मूर्तियों की भारी मांग एशियाई देशों के अलावा, यूरोपियन देशों में दिन- प्रतिदिन बढ़ रही है। डॉ रजनीकांत नें बताया कि लखनऊ क्ले क्राफ्ट एवं मेरठ बिगुल भी जी आई पंजीकरण के लिए चेन्नई भेजा गया है। जी आई को लेकर देश भर में कम कर रही वाराणसी की ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन संस्था नें देश के 12 राज्यों एवं 5 केंद्र शासित राज्यों के 80 उत्पादों का जी आई पंजीकरण हेतु कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश राज्य के भेड़ाघाट एवं पन्ना के प्रमुख पत्थरों के अलावा अन्य और कई उत्पाद हैं, जिन्हें आने वाले दिनों में जी आई टैग मिलेगा, जिससे अंतराष्ट्रीय बाजारों में इनकी मांगे बढ़ेगी।उन्होंने कहा कि वाराणसी धीरे -धीरे अंतराष्ट्रीय बाजार का हब बन रहा है और अबतक यहाँ के 32 उत्पादों को जी आई टैग मिल चूका है।
वाराणसी के मिट्टी के बर्तनों एवं मूर्तियों की निर्माता इंद्रावती देवी नें बताया की तीज त्यौहार, दिवाली, धनतेरस एवं दशहरा इत्यादि हिन्दू त्योहारों पर लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों की मांग बढ़