नई दिल्ली । सेक्स एजुकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि सेक्स एजुकेशन को वेस्टर्न कॉन्सेप्ट मानना गलत है, इस शिक्षा की भारत में ज्यादा जरुरत है और इससे युवा पीढ़ी में अनैतिकता भी नहीं बढ़ती है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचुड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने चाइल्ड पोनोग्राफी मामले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए जो टिप्पणी की वह सेक्स एजुकेशन मामले में भी बहुत अहम मानी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बहुत सारे लोग सेक्स एजुकेशन को भारतीय मूल्यों के विपरीत मानते है। इस कारण अनेक राज्यों में यौन शिक्षा पर पाबंदी लगाई गई है। इस विरोध के चलते ही युवाओं को सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है। ऐसे में युवा इंटरनेट का सहारा लेते हैं, जहां उन्हें अक्सर ही भ्रामक जानकारी मिलती है।