बराज के 56 फाटक खोले गए अब उत्तर बिहार के लोगों को लग रहा तबाही का डर

सुपौल। बिहार में हर साल बाढ़ के प्रकोप का सामना करने वाले लोग इस बार ज्यादा चिंतित हैं। वजह है कि कोसी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के चलते बराज के 56 फाटक खोल दिए गए हैं, जिससे उत्तरी बिहार में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इस साल नेपाल के त्राहि क्षेत्र में हो रही लगातार भारी बारिश ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
शनिवार रात तक 6.81 लाख क्यूसेक पानी को छोड़ा जा गया। वर्ष 2008 के बाद से यह पहली बार है जब ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। इससे लोगों में दहशत और आशंका बढ़ गई है। नेपाल के त्राहि क्षेत्र में हो रही भारी बारिश ने बाढ़ की स्थिति को विकराल बना दिया है। स्थानीय मौसम विभाग के अनुसार, बारिश के चलते कोसी नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, और इसकी रफ्तार चिंता का कारण बन गई है। स्थानीय निवासियों को कहना है कि तटबंध और पुल का रखरखाव करने वाले अधिकारी और कंपनियां इसके लिए जिम्मेदार है। नेपाल में ऊपर के पानी के साथ पत्थर-बालू भी आते हैं। लेकिन नदी की तलहटी से इसे नहीं निकाला जाता है। इस वजह से हर साल गाद जमा हो जाती है। जब बारिश के चलते पानी बढ़ता है तो ऐसा लगता है कि बाढ़ आ गई। अब इस पुल का मालिक इंसान नहीं बल्कि भगवान है। कुसहा तटबंध भी इन्हीं वजहों से टूटा था।कोसी बराज के फाटक खुलने के बाद, स्थानीय निवासियों की भीड़ जुट गई है। लोग इस नजारे को देखने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं, और कई लोगों ने इसे अपने जीवन का सबसे भयावह दृश्य बताया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, मैंने पहली बार ऐसा मंजर देखा है। यह देखकर मेरी रूह कांप गई। लोगों की चिंता इस बात को लेकर है कि क्या वे इस बार भी बाढ़ के प्रकोप से सुरक्षित रह पाएंगे। बिहार के लोग हर साल बाढ़ का सामना करते हैं, लेकिन 2008 की बाढ़ ने सबसे अधिक तबाही मचाई थी। उस समय लाखों लोग प्रभावित हुए थे और करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। उस अनुभव के मद्देनजर, प्रशासन इस बार अधिक सतर्कता बरतने की कोशिश कर रहा है।