ईरान के राष्ट्रपति से पीएम मोदी की मुलाकात: हाथ मलता रह गया पाकिस्‍तान, सीधे रूस से जुड़ेगा भारत

कजान । रूस के कजान में चल रहे 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेशकियन के बीच हुई बैठक को कूटनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है। इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष के बीच इस बैठक ने खासा महत्व अर्जित कर लिया है, क्योंकि यह क्षेत्रीय स्थिरता और भारत के रणनीतिक हितों से जुड़ी हुई है। इस मुलाकात में पीएम मोदी ने व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाने के साथ-साथ मध्य पूर्व में हो रहे संघर्ष और नागरिकों की सुरक्षा पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की।
पीएम मोदी ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और मध्य एशिया के साथ आर्थिक साझेदारी बढ़ाने के मुद्दों पर भी चर्चा की। यह खासतौर पर उस वक्त महत्वपूर्ण है जब अफगानिस्तान के हालात सुधारने की दिशा में प्रयास हो रहे हैं। चाबहार पोर्ट पर चर्चा के दौरान, यह बात सामने आई कि इसका निर्माण कार्य तेजी से किया जाएगा ताकि भारत पश्चिमी एशिया तक बिना किसी बाधा के व्यापार कर सके। यह पोर्ट ओमान की खाड़ी में स्थित है और इसके बनने से भारत को पाकिस्तान के मार्ग से व्यापार करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जो कि व्यापारिक गतिविधियों में काफी जटिलता पैदा करता था।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और ईरानी राष्ट्रपति के बीच कई अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। पीएम मोदी ने सबसे पहले डॉ. मसूद को ईरान का राष्ट्रपति बनने पर बधाई दी और ब्रिक्स में ईरान के शामिल होने का स्वागत किया। इसके बाद दोनों नेताओं ने चाबहार पोर्ट और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के निर्माण को गति देने पर जोर दिया, जो भारत के व्यापारिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह पोर्ट भारत को पश्चिमी एशिया और मध्य एशिया से जोड़ने में सहायक होगा और पाकिस्तान के जरिए मार्ग पर निर्भरता कम करेगा।