:: दूध उत्पादन में इन्दौर संभाग को बनाएंगे अग्रणी : संभागायुक्त दीपक सिंह
:: “डेयरी विकास के माध्यम से पशुपालकों की आय में वृद्धि” विषय पर संभाग स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न ::
इन्दौर । नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर और पशुपालन एवं डेयरी विभाग इन्दौर संभाग के संयुक्त तत्वाधान में डेयरी विकास के माध्यम से पशुपालकों की आय में वृद्धि के विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय महू में हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वेटनरी काउंसिल आफ इंडिया नईदिल्ली के अध्यक्ष डॉ. उमेश चंद्र शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश अभी दूध उत्पादकता में तीसरे नंबर पर है। सकारात्मक प्रयास एवं योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन से प्रदेश को नंबर एक पर लाया जा सकता है। डेयरी विकास के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में अपार संभावनाएं हैं और यहां पर दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी के साथ पशुपालकों को आथिर्क रूप से सक्षम बनाया जा सकता है।
कार्यशाला की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए इन्दौर संभागायुक्त दीपक सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला के माध्यम से यह प्रयास किया जायेगा कि संभाग के सभी जिलों में अधिकारी एवं मैदानी स्तर के कर्मचारी पशुपालकों को प्रोत्साहित करें और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में उन्हें जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास हो। उन्होंने कहा सहकारी संस्थाओं को सशक्त करते हुए दुग्ध समितियों के माध्यम से दूध उत्पादन में इन्दौर संभाग को अग्रणी बनाने के प्रयास किये जाएंगे।
कार्यशाला को नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मनोहर लाल कंबोज, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. चंद्रदत्त ने पशुपालन और डेयरी उत्पादन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। एनिमल ब्रीडिंग आनंद गुजरात के सीनियर मैनेजर डॉ. मयंक टंडन एवं डॉ. पराग पंड्या ने भी संबोधित किया। कार्यशाला में खरगोन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, जिला पंचायत सीईओ इन्दौर सिद्धार्थ जैन सहित संभाग के विभिन्न जिलों के विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
कार्यशाला में संयुक्त संचालक मनोज गौतम ने कार्यशाला के संबंध में जानकारी दी। इस कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों द्वारा पशुओं के नस्ल, आवास, पोषण, फॉर्म का मशीनरीकरण, कृत्रिम गर्भाधान बढ़ोत्तरी, पशुपालकों को डेयरी के विभिन्न आयामों के प्रति जागरूक करने के लिये प्रशिक्षण देने के संबंध में मार्गदर्शन दिया गया। महाविद्यालय के डीन डॉ. बी.पी. शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत किया एवं महाविद्यालय के इतिहास की जानकारी दी। संचालन डॉ. संदीप नानावटी एवं डॉ. जोशी ने किया। कार्यशाला समापन पर डॉ. जी.एस. डाबर ने आभार माना।