ढाका । बांग्लादेश में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना इस समय भारत में शरण लिए हुए हैं, जबकि देश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने उनके खिलाफ कई कानूनी मुकदमे दर्ज करवा दिए हैं। यह स्थिति इतनी गंभीर है कि शेख हसीना के स्वदेश लौटने पर उनके जीवन का अधिकांश समय अदालतों में बीत सकता है। मोहम्मद यूनुस ने न केवल शेख हसीना बल्कि उनकी पार्टी अवामी लीग पर भी शिकंजा कसने की कोशिश की है। यूनुस का प्रयास है कि आगामी चुनावों में अवामी लीग की भागीदारी पर प्रतिबंध लगाया जाए। हालांकि, इस मामले में अप्रत्याशित मोड़ तब आया जब शेख हसीना की कट्टर राजनीतिक विरोधी बांग्लादेश नेशनल पार्टी (BNP) की अध्यक्ष खालिदा जिया ने यूनुस की योजना का विरोध किया।
बीएनपी, जो बांग्लादेश की सबसे मजबूत विपक्षी पार्टी मानी जा रही है और आगामी चुनावों में सत्ता में आने की प्रबल दावेदार है, ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सभी दलों की भागीदारी आवश्यक है। बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने बुधवार को कहा, अवामी लीग एक राजनीतिक दल है और जनता को यह तय करने का अधिकार है कि वे चुनाव में भाग लें या नहीं। बीएनपी का मानना है कि चुनाव से पहले देश में व्यापक राजनीतिक सुधार होना चाहिए। इसके अलावा, जिन लोगों ने देश की संपत्ति का दुरुपयोग किया है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। बीएनपी अध्यक्ष खालिदा जिया, जो लंबे समय से हसीना की विरोधी रही हैं, अब इस मुद्दे पर उनका समर्थन करती नजर आ रही हैं। उन्होंने सशस्त्र सेना दिवस के समारोह में भाग लेने का भी फैसला किया है। यह 2018 में जेल से रिहा होने के बाद किसी आधिकारिक कार्यक्रम में उनकी पहली भागीदारी होगी। बीएनपी के इस कदम ने मोहम्मद यूनुस को बैकफुट पर धकेल दिया है। देश में यूनुस की अंतरिम सरकार को पहले ही आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, और अब बीएनपी के इस रुख ने राजनीतिक संतुलन को और जटिल बना दिया है।